जाति-वर्ण के आधार पर दुराव रखना दुर्भाग्यपूर्ण : डॉ कुलदीप
सुल्तानपुर, 18 अगस्त (हि.स.)। मूल समस्या है हमारा परस्पर बिखराव। बंगलादेश की स्थिति सामने है। पश्चिम बंगाल में जो हो रहा है...सबका कारण हमारा बिखराव है। जाति-वर्ण के आधार पर दुराव रखना हमारे लिये दुर्भाग्यपूर्ण है। उक्त विचार नगर के सरस्वती विद्या मन्दिर में आयाेजित रक्षाबंधन उत्सव में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख डॉ. कुलदीप ने व्यक्त किया।
रविवार काे संघ के आयाेजित रक्षाबंधन उत्सव में उन्होंने आगे कहा कि समाज अपने किसी न किसी अहंकार के कारण अपने मूल से भटक गया। परिणामस्वरूप पतन हुआ। हम जो हजार डेढ़ हजार परतन्त्र हुए इसका भी मूल कारण यही था। आज़ादी के ७८ साल पूर्व जो हुआ वो इतिहास का विषय है। लेकिन आज आज़ादी के बाद हमारे देश या आसपास बंगाल, केरल आदि में जो हो रहा है, उस पर हमें चिंतन करना ही होगा।
उन्हाेंने कहा कि ऐसा पहले नहीं था। चारों वर्ण साथ रहते थे, समन्वय था। दो पुस्तकें रामायण व महाभारत हिन्दू संस्कृति की मूल हैं। महाभारत के रचयिता वेदब्यास की मां मछुआरिन थी। रामायण के रचयिता बाल्मीकि भी सवर्ण नहीं थे। लेकिन दोनों सनातन धर्म की नींव हैं। समाज को मजबूत करने के लिये वंचित और उपेक्षित वर्गों में हमें जाना होगा। जब तक समाज मजबूत नहीं होगा तब तक ऐसे उत्सवों का कोई अर्थ नहीं।
हिन्दुस्थान समाचार / दयाशंकर गुप्ता / शरद चंद्र बाजपेयी / विद्याकांत मिश्र