उत्तर पूर्वी राज्यों में कृषि नवाचार को बढ़ावा देने की योजना में जुटी इर्री

 




- वाराणसी केन्द्र में पहुंचे असम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने काला नमक चावल कुकीज़, मूसली चावल का स्वाद भी चखा

वाराणसी,12 अप्रैल (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) वाराणसी में शुक्रवार को असम कृषि विश्वविद्यालय (ए.ए.यू) जोरहाट के कुलपति डॉ. विद्युत चन्दन डेका और उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (नेरामेक) के प्रबंध निदेशक सीएमडीई राजीव अशोक पहुंचे। केन्द्र में कुलपति डॉ डेका और सीएमडीई राजीव अशोक ने इर्री के वैज्ञानिकों के कृषि शोध कार्यों को देखा।

कुलपति ने धान के उच्च गुणवत्ता पूर्ण किस्मों के विकास, प्रजनन, बीज प्रणाली, मूल्य श्रृंखला प्रस्तावों एवं बीज व्यवस्था, प्राकृतिक प्रबंधन तकनीक, क्षमता निर्माण आदि पहलुओं की जानकारी ली। उन्होंने असम में क्रियान्वित असम एग्री-बिज़नस एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट (अपार्ट) से संबंधित सहयोग अवसरों पर भी वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की। इस दौरान प्रतिनिधियों को विभिन्न प्रकार के विकास, प्रजनन, विभिन्न प्रकार के परीक्षण प्रोटोकॉल, गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन, विभिन्न प्रकार की स्थिति निर्धारण विधियों, मशीनीकृत प्रत्यक्ष-बीज वाले चावल के लिए कृषि संबंधी प्रथाओं, मूल्य श्रृंखला प्रस्तावों और उत्पादन के बाद की क्रियाओं में अत्याधुनिक तकनीकों का पता लगाने का अवसर मिला। उन्होंने अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं, स्पीड ब्रीड सुविधा और अन्य कृषि सुविधाओं का भी दौरा किया।

कुलपति ने आइसार्क वैज्ञानिकों के विकसित किए जा रहे उच्च मूल्य वाले चावल उत्पादों जैसे काला नमक चावल कुकीज़, मूसली, इंस्टेंट उपमा आदि का स्वाद चखा। एएयू कुलपति डॉ. डेका के यात्रा का मुख्य उद्देश्य इर्री और विवि के बीच दशकों पुराने सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देने और मजबूत करने पर केंद्रित रही, जो असम और उसके बाहर कृषि परिवर्तन को आगे बढ़ाने में सहायक रही है।

डॉ. डेका ने विश्व बैंक की ओर से वित्त पोषित असम कृषि व्यवसाय और ग्रामीण परिवर्तन परियोजना (अपार्ट) जैसी संयुक्त पहल के माध्यम से प्राप्त ठोस प्रभावों का हवाला देते हुए, इस सहयोग को मजबूत करने में आईएसएआरसी द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने बताया कि अपार्ट के परिणाम स्वरूप राज्य में 50 प्रतिशत से अधिक चावल किसान मशीनीकृत उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे खेती की पद्धतियों में किसानों का लगने वाला श्रम कम हो गया है। वहीं आधुनिक तकनीकों के जरिये किसानों को अधिक मुनाफा मिल रहा है।

आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने असम में चावल आधारित कृषि में अनुसंधान, वैज्ञानिक नवाचार और कृषि विकास को बढ़ावा देने की अपार संभावनाओ में आइसार्क की प्रस्तावित भूमिका और भविष्य की योजनाओ के बारे में बताया। डॉ. डेका ने कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू के निदेशक और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) के निदेशक डॉ. एसवीएस राजू से भी मुलाकात की। आइसार्क के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ नेरामेक के प्रबंध निदेशक, राजीव अशोक ने कृषि विपणन और विकास से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। इन चर्चाओं में चावल और कृषि उत्पादों के लिए बाजार के रुझान और मांग की गतिशीलता का विश्लेषण करना, बाजार पहुंच और वितरण चैनलों में सुधार के लिए रणनीतियों की खोज करना और मूल्य वर्धित उत्पादों और ब्रांडिंग पहलों को विकसित करना शामिल था। इसके साथ ही उत्तर-पूर्व क्षेत्र में टिकाऊ कृषि प्रथाओं और बाजार विकास को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पहल और ज्ञान-साझाकरण पर भी संवाद हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित