कंपोस्ट खाद निर्माण में भारतीय केंचुओं ने ऑस्ट्रेलियन केचुओं को पछाड़ा

 
































































वर्ष भर में दोगुनी से अधिक खाद की तैयार,आधी खाद ही बना सके ऑस्ट्रेलिया के केंचुए

झांसी,06 दिसंबर(हि. स.)। भारतीय खिलाड़ी ही नहीं बल्कि भारतीय केंचुए भी कमाल कर रहे हैं। झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्च में यह बात सामने आई है कि भारत के केंचुओं ने ऑस्ट्रेलिया के केंचुओं को खाद बनाने में पीछे छोड़ दिया है। कृषि विश्वविद्यालय के वर्मी कंपोस्ट यूनिट में यह रिसर्च किया गया है। वहां भारतीय केंचुओं ने ऑस्ट्रेलिया के केंचुओं से दोगुना अधिक खाद तैयार की है।

एक साल में भारतीय केंचुओं ने जहां 90 टन खाद का निर्माण किया तो वहीं ऑस्ट्रेलियन केंचुए सिर्फ 40 टन ही खाद बना पाए हैं। कृषि विश्वविद्यालय इस जैविक खाद को किसानों को देने के साथ ही अपने फार्म में भी उपयोग करता है। केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय किसानों को जैविक खेती के लिए लगातार प्रेरित करता है। अपने वर्मी कंपोस्ट यूनिट के एक हिस्से में भारतीय केंचुआ को रखा गया था और दूसरे में ऑस्ट्रेलियन केंचुओं को रखा गया। दोनों प्रजाति के केचुओं की खाद की गुणवत्ता लगभग एक जैसी है।

केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ.अनिल कुमार राय ने बताया कि पिछले 1 साल से यह रिसर्च किया जा रहा था। रिसर्च में भारतीय केंचुओं का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है। भारतीय केंचुओं ने वर्ष भर में 80 से 90 टन खाद बनाई है, जबकि ऑस्ट्रेलिया के केंचुए इसका आधा भी नहीं कर पाए हैं। देसी केंचुए कई मायनों में बेहतर होते हैं। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया केंचुए आज भी बाजार में थोड़े सस्ते आते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/सियाराम