भारतीय कैलेण्डर विश्व की सबसे प्राचीन कालगणना

 










मेरठ, 07 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मेरठ महानगर द्वारा रविवार को चैत्र शुक्ल नव वर्ष प्रतिपदा कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि भारतीय कैलेण्डर विश्व की सबसे प्राचीन कालगणना है। जो लगभग दो अरब वर्ष पूर्व ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना के साथ प्रारम्भ हुआ,जिसे हम सृष्टि सम्वत कहते हैं।

मेरठ महानगर में रविवार को 28 स्थानों पर आरएसएस द्वारा नव वर्ष प्रतिपदा कार्यक्रम आयोजित किए गए। सभी स्थानों पर सर्वप्रथम संघ के संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार को स्मरण किया गया। इसके पश्चात एकल गीत, अवतरण एवं बौद्धिक कार्यक्रम हुए, जिसमें 5000 से अधिक स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया। महानगर में पुरानी मोहनपुरी, नौचंदी मैदान, जागृति विहार, डी-ब्लॉक शास्त्रीनगर, जयभीम नगर, सदर, शारदा रोड, पल्लवपुरम, गंगानगर, मलियाना, ब्रह्मपुरी, मुल्तान नगर, देव नगर, कंकरखेड़ा, जत्तीवाड़ा आदि स्थानों पर स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम हुए,जिसमें बाल स्वयंसेवकों ने भी ब़डी संख्या में भाग लिया। कुछ स्थानों पर एक परिवार की तीन पीढ़ी एक साथ कार्यक्रम में उपस्थित रही।

कार्यक्रमों में मुख्य वक्ताओं ने बताया कि भारतीय कैलेण्डर विश्व की सबसे प्राचीन कालगणना है। हमारा कैलेण्डर जिसे पंचांग के नाम से जाना जाता है पूर्णतया खगोल पर आधारित एवं वैज्ञानिक काल गणना है। हिन्दू परम्परा में जीवन के सभी कार्य एवं कार्यक्रम हमारे पंचांग के अनुसार ही होते हैं। जीवन से लेकर मरण तक एवं सभी शुभ अवसर मुहूर्त हों या वैवाहिक कार्यक्रम हमारे पंचांग की तिथियों के अनुसार ही मनाए जाते हैं। हमारे सभी त्यौहार, पर्व एवं महापुरुषों की जयंती भी हमारे पंचांग की तिथियों के अनुसार ही मनाए जाते हैं।

वक्ताओं ने कहा कि हमारे इतिहास में अनेक महापुरुषों के नाम पर भी सम्वत प्रारम्भ किए गए। प्रभु श्रीराम एवं युधिष्ठिर की विजय के पश्चात राज्याभिषेक पर राम सम्वत एवं युधिष्ठिव सम्वत प्रारम्भ किए गए। लेकिन सभी सम्वत हमारे इसी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ किए गए।ऐसा ही एक गर्व एवं गौरव जगाने वाला विक्रमी सम्वत है जो 2080 वर्ष पूर्व क्रूर शकों पर विजय की स्मृति में प्रारम्भ किया गया। क्रूर शकों से घबराकर चीन की जनता ने अपनी रक्षा के लिये विशाल दीवार खड़ी की। परन्तु भारत के पराक्रमी राजा विक्रमादित्य ने शकों को देश से ही नहीं, पूरे अरब से खदेड़ते हुए मध्य एशिया उनके देश तक उनको दौड़ाया और पूरे अरब पर शासन भी स्थापित किया।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन हुआ था हेडगेवार का जन्म

इसी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म एक अप्रैल 1889 को हुआ था, जो जन्मजात देशभक्त थे। वे अपने समय से महान क्रांतिकारी भी थे। उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई करते समय कलकत्ता में क्रांतिकारियों के साथ काम किया, तो नागपुर लौटकर कांग्रेस में शामिल होकर देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। खिलाफत आंदोलन में दो वर्ष के लिये जेल भी गए।

महानगर के विभिन्न कार्यक्रमों में क्षेत्र संघचालक सूर्यप्रकाश टोंक, क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य डॉ. दर्शनलाल अरोड़ा, प्रान्त प्रचारक अनिल कुमार, प्रान्त प्रचार प्रमुख सुरेन्द्र सिंह, विभाग संघचालक जतन स्वरूप, विभाग सह संघचालक विनोद भारतीय, विभाग कार्यवाह अशोक कुमार, विभाग प्रचार प्रमुख डॉ. नीरज सिंघल, विभाग सम्पर्क प्रमुख अरूण जिन्दल, कार्यवाह अवनीश पाठक, मनीष आदि अधिकारियों का बौद्धिक रहा।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. कुलदीप/राजेश