भारतीय ज्योतिष विद्या ने समूचे विश्व काे किया प्रभावित : चंद्रमौली उपाध्याय
वाराणसी, 19 दिसम्बर (हि. स.)। वाराणसी के ताज होटल में आईआईए इंटरनेशनल टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी एक्सपो 2025 के ज्योतिष विद्या सत्र में शुक्रवार काे प्रमुख ज्योतिषियों ने अपनी बातों को रखा। वाराणसी के मूल निवासी बहुचर्चित ज्योतिषी चंद्रमौली उपाध्याय ने कहा कि ज्योतिष विद्या भारतीय विद्या है, उसने समूचे विश्व को अपने प्रभाव से प्रभावित किया है। विश्व में घटित होने वाली घटनाओं को भारतीय ज्योतिष ने पहले से ही बताया है। कोरोना महामारी की भी जानकारी ज्योतिष के माध्यम से पहले ही दे दी गई थी। लोगों को जानना जरूरी है कि भाग्यशाली और सौभाग्यशाली में क्या अंतर है। ज्योतिष के अनुसार भाग्यशाली हम तब हैं, जब हम चलते हुए अंधेरे में भी निकल गए हैं और सौभाग्यशाली हम तब हैं, जब हमें अपने कर्म से आगे के रास्ते की पूरी जानकारी है।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि ज्योतिष एक ज्योति के समान है, जो लोगों को सही राह दिखाती है। ज्योतिष शास्त्र प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा की एक अत्यंत महत्वपूर्ण विद्या है, जो ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों की स्थिति के माध्यम से मानव जीवन के विभिन्न पक्षों को समझने में सहायक होती है। यह केवल भविष्य जानने का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित, व्यवस्थित और सकारात्मक दिशा देने का एक सशक्त मार्गदर्शक भी है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में ज्योतिष जन्मकुंडली के आधार पर व्यक्ति की शारीरिक संरचना, मानसिक स्थिति, रोग प्रतिरोधक क्षमता तथा संभावित रोगों की प्रवृत्ति का संकेत देता है। लग्न, षष्ठ भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव के साथ-साथ ग्रहों की स्थिति स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। विशेष रूप से बुध ग्रह स्नायु तंत्र, त्वचा, वाणी और मानसिक संतुलन का कारक है, जबकि गुरु शरीर की वृद्धि, पोषण, यकृत तथा समग्र स्वास्थ्य से जुड़ा माना जाता है। अनुकूल ग्रह-दशा और उचित ज्योतिषीय उपायों द्वारा स्वास्थ्य में संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलती है।
प्रोफेसर राम जीवन शर्मा ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र काल पुरुष की कुंडली पर निर्भर है। 12 राशियां काल पुरुष के 12 अंगों को चिह्नित करती है। शिक्षा के संदर्भ में ज्योतिष विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता, स्मरण शक्ति, एकाग्रता और विषय चयन का मार्गदर्शन करता है। पंचम भाव, नवम भाव तथा दशम भाव शिक्षा और ज्ञान से जुड़े माने जाते हैं। यहाँ बुध बुद्धि, तर्कशक्ति और सीखने की क्षमता का प्रमुख कारक है, वहीं गुरु उच्च शिक्षा, ज्ञान, विवेक और संस्कारों का प्रतिनिधित्व करता है। गुरु की मजबूत स्थिति व्यक्ति को विद्वान, मार्गदर्शक और नैतिक मूल्यों से युक्त बनाती है। सही समय पर सही दिशा का चयन शिक्षा में सफलता की कुंजी सिद्ध होता है।
ज्योतिष अनुराधा भाटिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि व्यापार एवं व्यवसाय में ज्योतिष लाभ-हानि, साझेदारी, निवेश और विस्तार के अनुकूल समय का निर्धारण करने में सहायक होता है। दशम भाव, सप्तम भाव और द्वितीय भाव व्यापार से जुड़े होते हैं। बुध व्यापारिक बुद्धि, संचार, गणना और सौदेबाजी का कारक ग्रह है, जबकि गुरु स्थायित्व, विस्तार, विश्वास और दीर्घकालीन सफलता प्रदान करता है। इन ग्रहों की अनुकूलता से निर्णय अधिक सुदृढ़ और लाभकारी बनते हैं।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार ज्योतिष, विशेष रूप से बुध और गुरु जैसे करक ग्रहों के माध्यम से, स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापार तीनों क्षेत्रों में मार्गदर्शन देकर जीवन को संतुलित, सुव्यवस्थित और सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस सत्र में मुख्य रूप से आईआईए से आर.के. चौधरी, राजेश भाटिया, दीपक बजाज, उमाशंकर अग्रवाल, राहुल मेहता, दिनेश गोयल, आलोक अग्रवाल, नीरज पारिख, मनीष कटारिया, प्रशांत अग्रवाल, उमंग सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श.चन्द्र