भारत और चीन के पास शिक्षा के क्षेत्र में नेतृत्व का अनूठा अवसर : प्रो. विनय पाठक
कानपुर, 14 अक्टूबर (हि.स.)। भारत और चीन की संस्कृतियों और चुनौतियों में भिन्नता होते हुए भी, हम दोनों मिलकर एआई के माध्यम से वैश्विक शिक्षा में नए आयाम जोड़ सकते हैं। हमारे सहयोग से हम छात्रों को एआई क्रांति के लिए तैयार कर सकते हैं और उन्हें वैश्विक नेतृत्व की दिशा में प्रेरित कर सकते हैं। भारत और चीन के पास एआई के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में नेतृत्व करने का अनूठा अवसर है। यह बातें चीन के बीजिंग में आयोजित इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट्स (आईएयूपी) के 20वें त्रैवार्षिक सम्मेलन में सोमवार को भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अध्यक्ष और सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कही।
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट्स (आईएयूपी) का 20वां त्रैवार्षिक सम्मेलन चीन के बीजिंग शहर में हो रहा है। तीसरे दिन सोमवार को भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अध्यक्ष और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने शिक्षा पर एआई के परिवर्तनकारी प्रभाव को प्रस्तुत किया। इस सम्मेलन में उन्होंने 'एआई' शिक्षा में एक परिवर्तनकारी शक्ति विषय पर विचार साझा करते हुए बताया कि कैसे एआई भारत की शिक्षा प्रणाली में सुधार और नवाचार के माध्यम से देश को एक नई दिशा दे सकती है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार एआई भारत और चीन जैसे देशों में उच्च शिक्षा के व्यक्तिगतकरण को संभव बना रहा है। उन्होंने समझाया कि एआई-आधारित अनुकूली शिक्षण प्लेटफार्म, जैसे कि मशीन लर्निंग एल्गोरिदम, छात्रों के सीखने के तरीकों को समझकर उनके लिए एक विशेष अनुभव तैयार कर सकते हैं। उन्होंने यह भी साझा किया कि सीएसजेएमयू में, इंजीनियरिंग और पीएचडी कार्यक्रमों में एआई-संचालित प्रणालियां लागू की गई हैं, जिनके परिणामस्वरुप छात्रों की सहभागिता और शैक्षणिक प्रदर्शन में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है।
पहुंच का विस्तार, हर छात्र तक गुणवत्ता युक्त शिक्षा
प्रो. पाठक ने बताया कि कैसे एआई के माध्यम से दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों को शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने एआईयू की स्पीच-टू-टेक्स्ट और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) टूल्स का उपयोग करने की पहल की चर्चा की, जो रियल-टाइम में भाषाई अनुवाद और ट्रांसक्रिप्शन सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विविध भाषाई देश में एआई के माध्यम से छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकती है।
शोध और नवाचार में एआई का विस्तार
प्रो. पाठक ने सीएसजेएमयू में शीघ्र स्थापित होने वाले सुपरकंप्यूटिंग हब का जिक्र किया, जो बायोटेक्नोलॉजी, बायोइन्फॉर्मेटिक्स और अन्य क्षेत्रों में शोधकर्ताओं के लिए एआई-आधारित उच्च-प्रदर्शन कम्प्यूटिंग की सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि एआईयू अन्य सदस्य विश्वविद्यालयों में एआई नवाचार प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहयोग कर रहा है, जिससे छात्र और शोधकर्ता उन्नत तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके वास्तविक जीवन की समस्याओं का समाधान कर सकेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह