आईआईटी के स्मार्ट सस्टेनेबल बागवानी के लिए होगा वरदान साबित
कानपुर, 21 जनवरी (हि.स.)। आईआईटी ने सिमडास ऑटोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड और इंडस्ट्री पार्टनर एवी एग्रीटेक के साथ मिलकर बागवानी में क्रांति लाने के लिए अपनी तरह की पहली लाइडर आधारित इन्टेलिजन्ट स्प्रेयर तकनीक विकसित की है। यह नवाचार कृषि रसायन की बर्बादी को कम करता है। साथ ही टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है।
आईडियाज टीआईएच आईएसआई कोलकाता परियोजना के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित यह तकनीक स्मार्ट खेती के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह नवाचार किसानों को बेहतर उपकरणों के साथ सशक्त बनाता है, साथ ही भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की सुरक्षा करता है। हमारा लक्ष्य ऐसे समाधान बनाना है जो न केवल प्रभावी हों बल्कि देश भर के किसानों के लिए सुलभ और व्यावहारिक भी हों, जो रोज़मर्रा की खेती में उन्नत तकनीक को एकीकृत करते हो। यह बातें मंगलवार को प्रो. भारत लोहनी ने कही।
इस स्प्रेयर तकनीक पर बोलते हुए प्रो. भारत लोहनी ने कहा लाइट डिटेक्शन ऐंड आधारित इन्टेलिजन्ट स्प्रेयर बागवानी में एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है। यह प्रिसिजन एग्रीकल्चर को अत्याधुनिक तकनीक के साथ जोड़ता है। जो कृषि रसायनों के अत्यधिक उपयोग को कम करने और टिकाऊ खेती के तरीकों को सुनिश्चित करने की दोहरी चुनौती का समाधान प्रदान करता है। दिन और रात किसी भी समय कार्य करने की क्षमता वाला यह इन्टेलिजन्ट स्प्रेयर, पेड़ों को स्कैन करने के लिए उन्नत लीडर तकनीक का उपयोग करता है, जिससे रासायनिक अनुप्रयोग में सटीकता सुनिश्चित होती है और संसाधन को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। यह सिस्टम एक एकीकृत जीपीएस सक्षम मोबाइल ऐप से लैस है। जो छिड़काव किए गए क्षेत्रों, कृषि रसायन की खपत और डिवाइस के प्रदर्शन का वास्तविक समय में अपडेट प्रदान करता है। किसान दूर से डिवाइस की निगरानी और नियंत्रण कर सकते है। यह सिस्टम किसानों द्वारा सामना की जाने वाली सामान्य चुनौतियों जैसे कि इसको संचालित कर रहे ऑपरेटर के द्वारा गति को बढ़ाना या घटाना और रसायन का छिड़काव करते समय लेन छोड़ना आदि का भी समाधान करता है।
किसान इस अत्याधुनिक तकनीक को आसानी से अपना सकें, जिससे यह उनकी विविध कृषि आवश्यकताओं के लिए एक स्केलेबल समाधान बन सके। आने वाले महीनों में बड़े पैमाने पर उत्पादन की उम्मीद के साथ, इसकी मौजूदा कीमत में और गिरावट आने का अनुमान है, जिससे यह देश भर के किसानों और वैश्विक स्तर पर सभी को सुलभ हो जाएगा। इस तकनीक को चार से पांच महीनों के भीतर व्यावसायिक रूप से लॉन्च किया जाएगा, जो उन्नत कृषि उपकरणों को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / Rohit Kashyap