आईआईटियंस अपनी भूमिका सुनिश्चित कर भारत को बनायें महान: एन. आर. नारायण मूर्ति

 




- आईआईटी कानपुर में 56वें दीक्षांत समारोह में 2127 छात्रों को मिली डिग्रियां

कानपुर, 03 जुलाई (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर का इतिहास रहा है कि यहां के मेधावी देश ही नहीं, विदेशों में भी अपनी मेधा का लोहा मनवा रहे हैं। मैं खुद यहीं का छात्र रह चुका हूं। मुझे हमारे महान राष्ट्र के शिक्षित नागरिकों के रूप में हमारी गहरी जिम्मेदारी का अहसास होता है। जैसा कि हमारे संस्थापकों ने कल्पना की थी, हमें संबद्धता से ऊपर उठना चाहिए और सबसे पहले भारतीय के रूप में अपनी भूमिका अपनानी चाहिए। आइए हम एक महान भारत का निर्माण करें, जहां हर बच्चे को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अवसर उपलब्ध हों। यह बातें सोमवार को कानपुर आईआईटी के 56वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने कही।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (आईआईटी ) ने सोमवार को अपने भव्य 56वें दीक्षांत समारोह की मेजबानी की, जो संस्थान के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। संस्थान सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में स्नातक छात्रों की उल्लेखनीय उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए पूर्व छात्रों, शिक्षकों, विशिष्ट अतिथियों और गौरवान्वित परिवारों को एक साथ लाया गया। डॉ. राधाकृष्णन के कोप्पिलिल, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी), आईआईटी कानपुर, ने समारोह की अध्यक्षता की; जबकि एन.आर. नारायण मूर्ति, संस्थापक और मानद अध्यक्ष, इंफोसिस, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

डॉ. राधाकृष्णन ने आईआईटी कानपुर के अग्रणी पहलुओं को याद किया और छात्रों को दूरदर्शी दिग्गजों द्वारा दिखाए गए रास्तों पर चलने की सलाह दी। आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने स्नातक होने वाले छात्रों को बधाई दीं और उनके लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने संस्थान की रिपोर्ट का व्यापक विवरण भी दिया। आगे कहा कि मुझे उम्मीद है कि हमारा प्रत्येक स्नातक छात्र देश को बदलने वाले भावी लीडरों के रूप में अपनी पहचान बनाएगा।

मुख्य अतिथि एन.आर. नारायण मूर्ति ने कहा कि हम साथ मिलकर, प्रदर्शन, अनुशासन, नवाचार और परिवर्तन की मानसिकता के माध्यम से, हम भारत को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित और चिकित्सा में एक निष्पक्ष और नैतिक लीडर के रूप में आकार दे सकते हैं। आइए, हम उत्कृष्टता, खुलेपन और देशभक्ति की संस्कृति विकसित करें और एक सभ्य समाज का निर्माण करें जहां सार्वजनिक हित को व्यक्तिगत लाभ पर प्राथमिकता दी जाए।

2127 छात्रों को दी गईं डिग्रियां

दीक्षांत समारोह के दौरान कुल 2127 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। प्रदान की गई डिग्रियों में 236 पीएचडी, 15 एमटेक-पीएचडी (संयुक्त डिग्री), 483 एमटेक, 739 बीटेक, 21 एमबीए, 16 एमडी, 51 एमएस (अनुसंधान द्वारा), 40 पीजीपीईएक्स-वीएलएफएम, आईआईटी (डीआईआईटी) का 1 डिप्लोमा, 151 एमएससी (2-वर्षीय पाठ्यक्रम), 18 डबल मेजर, 125 दोहरी डिग्री, 14 एमएस-पीडी (दोहरी डिग्री का एमएस भाग), 149 बीएस और 68 ई-मास्टर डिग्री कार्यक्रम शामिल हैं।

इनको मिले पदक

दीक्षांत समारोह में विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट छात्रों को भी सम्मानित किया गया। कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग (सीएसई) के श्री फ़रज़ान आदिल बायरामजी को प्रतिष्ठित राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग (सीएसई) से अनन्या गुप्ता को निदेशक का स्वर्ण पदक (4-वर्षीय यूजी कार्यक्रम) प्राप्त हुआ, जबकि जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग (बीएसबीई) के लक्ष्य रस्तोगी को निदेशक के स्वर्ण पदक (5-वर्षीय यूजी कार्यक्रम) से सम्मानित किया गया। सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग (एमएसई) से नंदिता गुप्ता को प्रतिष्ठित रतन स्वरूप मेमोरियल पुरस्कार प्राप्त हुआ, और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग (ईई) से विनीत वी को प्रतिष्ठित डॉ. शंकर दयाल शर्मा पदक से सम्मानित किया गया।

आईआईटी कानपुर ने तीन प्रतिष्ठित हस्तियों को उनकी अनुकरणीय उपलब्धियों के सम्मान में डॉक्टर ऑफ साइंस (मानद उपाधि) की उपाधि प्रदान की, जो संस्थान की सर्वाेच्च मानद शैक्षणिक डिग्री है। इस सम्मानित सम्मान के प्राप्तकर्ताओं में एम सी मैरी कॉम (भारतीय मुक्केबाज और राजनीतिज्ञ), डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी (अध्यक्ष और संस्थापक, नारायण हेल्थ), और नटराजन चंद्रशेखरन (अध्यक्ष, टाटा संस) शामिल हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/सियाराम