समय से हो उपचार तो पूरी तरह से ठीक होगा 'कुष्ठ रोग', नहीं आएगी दिव्यांगता : डॉ राहुल
—प्रारम्भिक लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द से कराएं जांच
वाराणसी, 30 दिसम्बर(हि.स.)। पाण्डेयपुर स्थित पंडित दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के कमरा नंबर 321 में स्थापित जिला कुष्ठ रोग क्लीनिक में कुष्ठ रोगियों का उपचार हो रहा है। रोगी समय से अपना उपचार कराना शुरू कर दे तो इस रोग से उन्हें मुक्ति मिल जाएगी। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ राहुल सिंह बताते है कि जनपद में कुष्ठ रोग का प्रसार प्रति 10 हजार की आबादी पर 0.24 प्रतिशत है, जो प्रदेश के किसी भी जनपद से बेहद कम है।
डॉ राहुल सिंह ने बताया कि प्रदेश में कुष्ठ रोग के प्रसार की दर 0.41 प्रतिशत है। इसके अलावा वार्षिक नए रोगी खोजने की दर प्रति एक लाख में 4 प्रतिशत है, जबकि प्रदेश की दर 5.95 प्रतिशत है। जनपद में वर्ष 2017-18 से अब तक बच्चों में कुष्ठ रोगियों की दर शून्य है। साथ ही वर्ष 2016-17 से अबतक दिव्यांगता दर भी शून्य है। उन्होंने बताया कि पिछले साल जिल में 100 कुष्ठ रोगी पाये गए थे, जिसमें से 89 कुष्ठ रोगियों का उपचार पूरा हो चुका है। इस साल अब तक 118 रोगी चिन्हित हुए हैं जिसमें से 75 कुष्ठ रोगियों का उपचार पूरा हो चुका है। वर्तमान में जनपद में 106 रोगियों का उपचार चल रहा है, जिसमें पुराने रोगी भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में 112 सदस्यों (कुष्ठ रोगियों के नज़दीकी) को कुष्ठ से बचाव की दवा खिलाई जा रही है। अप्रैल 2023 से अब तक 912 और पिछले वर्ष 1450 व्यक्तियों को दवा खिलाई गई। पिछले वर्ष 173 कुष्ठ रोगियों को एमसीआर चप्पल प्रदान की गई। जबकि इस साल अब तक 43 रोगियों को एमसीआर चप्पल प्रदान की जा चुकी है। साथ ही इस साल अब तक 45 रोगियों को सेल्फ़्केयर किट भी प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि क्लीनिक में प्रतिदिन 100 की संख्या में ओपीडी हो जाती है।
—क्या है कुष्ठ रोग और कैसे बचा जाए
डॉ राहुल ने बताया कि कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह बैसिलस माइक्रो बैक्टीरियम लेप्राई के जरिए फैलता है। हवा में यह बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। यह एक संक्रामक रोग है। यह उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (एनटीडी) की श्रेणी में आता है। यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है। यह रोग किसी कुष्ठ रोगी के साथ बात करने या उसके बगल में बैठने यह छूने से नहीं फैलता है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग मुख्य रूप से चमड़ी एवं तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और कुछ वर्षों में लोगों को पूरी तरह से कुष्ठ रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं। यदि शुरुआत में ही रोग का पता चल जाए और उसका समय से उपचार शुरू कर दिया जाए तो रोगी को दिव्यांगता से बचाया जा सकता है।
—जिला कुष्ठ रोग क्लीनिक में इलाज के बाद का अनुभव
दनियालपुर शिवपुर निवासी 37 वर्षीय सुनीता (परिवर्तित नाम) बताती हैं कि करीब दो साल पहले उन्हें हाथ में झुनझुनाहट रहती थी, उसका रंग भी हल्का होने लगा था। नसों में भी बहुत दर्द रहता था। नजदीक के मेडिकल स्टोर से दवा ली लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे में स्टोर मालिक ने अस्पताल में दिखाने की सलाह दी। इसके बाद वह डीडीयू राजकीय चिकित्सालय गईं। वहाँ कमरा नंबर 321 में स्थापित कुष्ठ रोग क्लीनिक में खुद को दिखाया। जांच हुई तो कुष्ठ रोग की पुष्टि हुई। वह बताती हैं – “इस बीमारी से वह बहुत परेशान थी। कोई काम भी ठीक से नहीं कर पाती थीं। करीब एक साल तक मैंने सरकारी दवा खाई और पूरी तरह ठीक हो गई हूं।
—ऐसे लक्षण कुष्ठ रोग में नही आते
ऐसे चमड़ी पर बने दाग-धब्बे, जिसमें खुजली होती हो,ऐसे चमड़ी के दाग-धब्बे, जो किसी मौसम में आते हों और चले जाते हो,ऐसे चमड़ी के दाग-धब्बे, जो जन्म से हो, ऐसे चमड़ी के दाग-धब्बे, जो दवा, मलहम से ठीक होते हो,ऐसे दाग-धब्बे, जो दूधिया सफेद हो कुष्ठ रोग में नही आते।
—कुष्ठ रोग के लक्षण
ऐसे चमड़ी के दाग-धब्बें जिनका रंग चमड़ी के रंग से हल्का या गाढ़ा हो,ऐसे चमड़ी के दाग-धब्बे, जिसमें निश्चित सूचता हो,ऐसे चमड़ी के दाग-धब्बे, जिसमें न बाल हों न ही पसीना आता हो,हाथ पैर में झुनझुनाहट हो,हाथ-पैर एवं आँख की पुतलियों की मांस-पेशियों में कमजोरी हो, हाथ-पैर में टेढ़ापन और विकृति हो,हाथ-पैर की नसों में दर्द हो,चेहरे और कान में गाँठें हो,दर्द रहित छाला, घाव तथा जलने से हुआ घाव यदि दर्द रहित हो,ये कुष्ठ रोग के लक्षण है।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/पदुम नारायण