डॉक्टर रिमोट क्षेत्र में भेजा जाता है तो उसको बुनियादी सुविधाएं मिलनी चाहिए: प्रो. कैलाश

 


—बीएचयू में हेल्थकेयर फॉर डेवलप्ड इंडिया 2047 विषयक परिचर्चा,जुटे दिग्गज

वाराणसी,27 जुलाई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2047 तक विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में पहल हुई है। एमएसएमई एवं स्टार्टअप फोरम-भारत (एमएसएफबी) तथा चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू (आईएमएस-बीएचयू) के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को हेल्थकेयर फॉर डेवलप्ड इंडिया 2047 विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में विशेषज्ञ जुटे।

पैनल चर्चा में शामिल विचारों का विजन डाक्यूमेंट केंद्र एवं राज्य की सरकारों को भेजा जाएगा। इस पैनल चर्चा श्रंखला का उद्देश्य आगामी 2029 तक स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए भविष्यगामी मसौदा तैयार करना तथा स्वस्थ काशी, स्वस्थ यूपी और स्वस्थ भारत का मार्ग प्रशस्त करना है। पैनल चर्चा के को चेयरमैन एवं सर सुंदरलाल अस्पताल, बीएचयू के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. कैलाश कुमार ने कहा कि केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही महत्वपूर्ण नहीं होता बल्कि मानिसक स्वास्थ्य का स्वस्थ्य होना अति आवश्यक है। घर में यदि कोई बीमारी आ जाती है तो पूरा घर परेशान होता है। टारगेट से नहीं बल्कि गोल्स तय करना चाहिए। चिकित्सकों की तैनाती गांव में हो ये अच्छी बात है लेकिन व्यवस्था को ये भी सोचना चाहिए कि जो भी डॉक्टर रिमोट क्षेत्र में भेजा जाता है तो उसको बुनियादी सुविधाएं मिलनी चाहिए।

पैनल चर्चा में पूर्व विभागाध्यक्ष, रेडियो एवं इमेजिंग, आइएमएस-बीएचयू प्रो. आशीष वर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत करने के लिए पेशेंट फ्रेंडली वातावरण बनाने की आवश्यकता है। दुनिया की स्वास्थ्य सेवाएं तेजी से बदल रही हैं। मरीज अपनी सुविधाओं के अनुसार अपनी मांग को रखते हैं, उनकी मांग पर इलाज एवं डायग्नोसिस की राह बनती जा रही है। मरीज और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े प्रत्येक लोगों की भागीदारी से ही भारत की स्वास्थ्य सेवाएं उन्नत होंगी। चर्चा में निजी अस्पताल के गैस्ट्रोइण्ट्रोलॉजिस्ट डा. हेमंत गुप्ता ने कहा कि पहले की सरकारों में स्वास्थ्य सेवाएं प्राथमिकता नहीं थी। कोविड ने सबको जगाया है। काशी में देखा जाए तो अनेक सरकारी अस्पताल हैं। पहले उसमें बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव था। आम मरीज को भर्ती होने के लिए बेड नहीं उपलब्ध हो पाते। किसी एक अस्पताल या संस्थान को उन्नत करने से नहीं बल्कि सरकारी अस्पतालों को स्तरीय सुविधाएं देने से स्वास्थ्य सेवाएं उन्नत होंगी।

इस अवसर पर बलिया विश्वविद्यालय के पूर्व संस्थापक कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह ने कहा कि कोरोना ने बता दिया कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। समाज की विषमता समाप्त करने का काम स्वास्थ्य सेवाएं कर सकती हैं। गांव से शहर तक स्वास्थ्य सेवाएं एक होनी चाहिए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, नई दिल्ली के विशेष कार्याधिकारी हिमांशु बुराड ने अपने उद्बोधन में 2047 के भारत का स्वास्थ्य कैसा हो, इसके लिए महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे।

कार्यक्रम के सलाहकार मनोचिकित्सक डा. वेणु गोपाल झंवर ने उद्घाटन भाषण दिया। अतिथियों का स्वागत एवं संचालन कार्यक्रम के सह-अध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार शाह ने किया। कार्यक्रम संयोजक डॉ अंशुमान बनर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस पैनल चर्चा में डा. प्रियंका अग्रवाल, डॉ. सिद्धार्थ लखोटिया, डॉ. तुहिना बनर्जी, डॉ. एनके अग्रवाल, डॉ. मानुषी श्रीवास्तव, डॉ. अरुण कुमार दुबे, डॉ. एस.एस. चक्रवर्ती, डा. उपिंदर कौर, डॉ. अनुराग सिंह, डॉ. पी.वी. राजीव, डॉ. विजय सोनकर, प्रो. नीरज शर्मा, प्रो. संजय सिंह, डॉ. इंद्रनील बसु, डॉ. अशोक राय आदि ने भी विचार रखा।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / Siyaram Pandey