पाला पड़ने से फसल नुकसान की संभावना अत्यधिक
कानपुर,09 जनवरी (हि.स.)। पाला पड़ जाने पर नुकसान की संभावना अत्यधिक होती है। ऐसी स्थिति में किसान सावधानी अपना कर फसलों को बचा सकते हैं। यह जानकारी मंगलवार को हिन्दुस्थान समाचार के प्रतिनिधि से चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।
उन्होंने बताया कि पाले की संभावना होने पर खेत की हल्की सिंचाई कर देना चाहिये। इससे मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है तथा नुकसान की मात्रा कम हो जाती है। सिंचाई बहुत ज्यादा नहीं करनी चाहिये तथा इतनी ही करनी चाहिये जिससे खेत गीला हो जाए। रस्सी का उपयोग भी पाले से काफी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके लिये दो व्यक्ति सुबह-सुबह (जितनी जल्दी हो सके) एक लम्बी रस्सी को उसके दोनों सिरों से पकड़ कर खेत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक फसल को हिलाते चलते हैं। इससे फसल पर रात का जमा पानी गिर जाता है तथा फसल की पाले से सुरक्षा हो जाती है।
बचाव के अन्य उपाय जाने किसान भाई
रसायन से पाला नियंत्रण :– वैज्ञानिकों द्वारा रसायनों का उपयोग करके भी पाले को नियंत्रित करने के संबंधी प्रयोग किये गए है। घुलनशील सल्फर 0.3 से 05 प्रतिशत का घोल (3 से 5 एम.एल.एवं 1 लीटर पानी के साथ), घुलनशील सल्फर 0.3 से 0.5 प्रतिशत, बोरान 0.1 प्रतिशत घोल (3 से 5 एम.एल.एवं 1 लीटर पानी के साथ) एवं गंधक के एक लीटर तेजाब को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कने से लगभग दो सप्ताह तक फसल पाले के प्रकोप से मुक्त रहती है। रसायनों विशेषतया गंधक के तेजाब का उपयोग अत्यंत सावधानीपूर्वक तथा किसी कृषि विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिये। उपरोक्त में से कोई भी एक घोल बनाकर छिड़काव करके फसल को पाले से बचाया जा सकता है।
फसल पर लकड़ी के राख का कर सकते हैं छिड़काव
उन्होंने आगे बताया कि फसल पर लकड़ी की राख का छिड़काव कर सकते हैं। ऐसा करने से आलू की फसल को थोड़ी गर्मी मिल जाती है और फसल को पाला लगने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा सड़े हुए छाछ का उपयोग कीटनाशक के तौर पर कर सकते हैं। ये भी फसल को पाले से बचाने का कार्य करता है।
जाने ठंड से फसल को कैसे बचाएं?
डा.पांडेय ने बताया कि जब भी पाला यानी ठंड पड़ने की संभावना हो या मौसम विभाग का पूर्वानुमान, फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। जिससे तापमान 0 डिग्री से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पहले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। सिंचाई करने से 0.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी होती है।
किसान भाई जाने पाला क्या है?
मौसम वैज्ञानिक ने पाले के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि शीत लहर के चलते वायुमंडल में उपस्थित जल वाष्प जब पेड़-पौधों की पत्तियों अथवा किसी ठोस पदार्थ के सम्पर्क में आती हैं, जिनका तापमान 0 सेल्सियस अथवा इससे नीचे है तो यह बर्फ की चादर के रूप में जमने लग जाती है। यह पाला कहलाती है।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर /मोहित