विश्व के प्राचीनतम उद्योग हथकरघा से लाखों लोगों की चलती है जीविका : राकेश सचान

 


कानपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। हथकरघा उद्योग विश्व का प्राचीनतम उद्योग है। हमारे देश के लाखों लोग आज भी हथकरघा बुनाई के व्यवसाय से अपना जीविकोपार्जन कर रहे है। देश में लगभग 43 लाख व्यक्ति हथकरघा बुनाई के कार्य में लगे हुये है। उत्तर प्रदेश में 2 लाख 50 हजार हथकरघा बुनकर है, जिसमें 1 लाख 10 हजार बुनकर हाउस होल्ड हैं।

यह बातें बुधवार को कानपुर सिविल लाइंस स्थित मर्चेन्ट चेम्बर हाल में उप्र हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग​ विभाग द्वारा आयोजित दसवां राष्ट्रीय हाथकरघा दिवस के मौके पर विभाग के मंत्री राकेश सचान ने कहा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के आयोजन का उद्देश्य हथकरघा उद्योग के सामाजिक एवं आर्थिक महत्व तथा इसके योगदान के बारे में समाज में नयी पीढ़ी में जागरूकता फैलाना और हथकरघा उद्योग को बढावा देकर बुनकरों की आय बढ़ाकर उनका सामाजिक-आर्थिक उत्थान करना तथा घरेलू उत्पादों और उत्पादन प्रक्रियाओं को पुनर्जीवित करना है।

उन्होंने कहा कि भारतीय हथकरघा के प्रचार-प्रसार एवं नयी पीढ़ी तक हथकरघा वस्त्रों की जानकारी पहुंचे। इसी उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। आज हम 10वाँ राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि वस्त्र उत्पादन के क्षेत्र में हथकरघा आज भी जन उपयोगी है। यद्यपि हथकरघा वस्त्रों की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की जा रही है। क्योंकि वर्तमान युग मशीनों का युग है। मशीन द्वारा निर्मित वस्त्र की तुलना में हथकरघा पर उत्पादित वस्त्र की लागत अधिक होने के कारण इस उद्योग को वर्तमान में कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण आज हथकरघा बुनकर हथकरघा कार्य से हटकर अन्य क्षेत्र में रोजगार के अवसर तलाश रहे हैं।

इसलिए हथकरघा उद्योग में कार्यरत लाखों लोगों के रोजगार को सुरक्षित रखने एवं इस कला के संरक्षण के उद्देश से राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हथकरघा बुनकरों के कल्याण एवं विकास के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम में संयुक्त आयुक्त हथकरघा के.पी. वर्मा, वित्त नियंत्रक हथकरघा लक्ष्मीकांत, उपायुक्त प्रर्वतन पी.सी. ठाकुर सहित सम्बन्धित अधिकारीगण व प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आये हथकरघा बुनकर उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल / विद्याकांत मिश्र