विश्वविद्यालयों में व्याप्त बुराइयों को सामूहिक प्रयास से ही समाप्त करना होगा: राज्यपाल

 






- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के 41वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पंच प्रण का संकल्प दिलाया

- ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र तथा डिजिलॉकर व्यवस्था का बटन दबाकर किया उद्घाटन

वाराणसी,25 नवम्बर (हि.स.)। कुलाधिपति और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में व्याप्त बुराइयों को सामूहिक प्रयास से ही समाप्त करना होगा। तभी विश्वविद्यालयों को ए डबल प्लस की अच्छी रैंकिग मिलेगी। विश्वविद्यालयों में व्याप्त जातिवाद का जिक्र कर राज्यपाल ने कहा सबसे अधिक जातिवाद पढ़े लिखे लोगों में व्याप्त है। हमें जातिवाद से बाहर निकलना होगा तभी हम अपने देश को आगे ले जा पाएंगे।

राज्यपाल सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के 41वें दीक्षांत समारोह को शनिवार सम्बोधित कर रही थी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान,नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी,प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय के साथ 30 मेधावी विद्यार्थियों में 59 स्वर्णपदक वितरित किया। समारोह में 14167 उपाधियां वितरित की गई। दीक्षांत समारोह में ही राज्यपाल ने ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र तथा डिजिलॉकर व्यवस्था का बटन दबाकर उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में कुल 32 विश्वविद्यालय है। पिछले दो वर्षों में जहां भी नई नियुक्ति हुई है उसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई। जो होनहार होगा जगह अब उसी को मिलेगी।

विश्वविद्यालय के डिग्रियों में भी कोई छेड़छाड़ नहीं कर पाएगा। सारी डिग्रिया ऑनलाइन और डिजिलॉकर में आ गयी हैं। छात्रों को डिग्रियों के लिए विश्वविद्यालय नहीं आना होगा। वे खुद इस डाउनलोड करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले 250 साल में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने भारत को अनेक विद्वान दिये हैं। लेकिन पिछले 15-20 सालों में विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुई है। जिसपर हम सभी को सोचने की जरूरत है। इस विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा।

राज्यपाल ने कहा कि सभी के संयुक्त प्रयास से ही विश्वविद्यालय फिर ऊंचाइयों को छू पायेगा। समारोह में राज्यपाल ने कहा कि समाज में महिलाएं जब शिक्षित होंगी तभी सभी बुराईयां खत्म होगीं। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि संस्कृत भाषा के अध्ययन के लिए महिलाएं, लड़कियां भी आगे आ रही है। राज्यपाल ने रामचरित मानस के एक प्रसंग का उल्लेख कर कहा कि मां आदेश देती है, वह गलत नहीं होगा, मां के आदेश का पालन करना चाहिए। मां सही और गलत की सीख देती है। मां स्वतः रोटी न खाकर अपने बच्चों का पेट पालती है तथा कठिन परिस्थिति में शिक्षा दिलाती है। माता-पिता वृद्धाश्रम में पड़े हैं तो हम शिक्षित कहां से हुए। हम सभी को संकल्पित होना पड़ेगा की हम अपने माता-पिता को बुढ़ापे में वृद्धाश्रम में नहीं छोड़ेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि भारत को महाशक्ति बनाने में हमें सभी क्षेत्रों में अपने को आगे बढ़ाना होगा। अगले 25 वर्ष भारत को आगे बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें युवाओं को अपना बड़ा योगदान देना होगा। राज्यपाल ने महर्षि भारद्वाज के समय में किए गए अविष्कारों का जिक्र किया। राज्यपाल ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं और वेदों के ज्ञान को आधुनिक और तकनीकी रूप से सम्पन्न बनाने के लिए सरकार ने 100 करोड़ का प्रावधान किया है। जिसका सभी विश्वविद्यालयों को प्रोजेक्ट बनाकर फायदा लेना चाहिए।

राज्यपाल ने समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पांच प्रण को दोहराया। जिसमें भारत को विकसित आत्मनिर्भर देश बनाना, गुलामी की मानसिकता से निकलना, देश की विरासत पर गर्व करना, भारत की एकता बनाए रखना और देश के रक्षकों का सम्मान है।

समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान,नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि विश्वविद्यालय के आचार्य शिक्षा पूर्व प्रशिक्षण तथा प्रकाशन पूर्व शोध करें ।तभी हम विद्यार्थियों को एक अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकते है। उन्होंने कहा कि काशी वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कर्मभूमि भी है। वर्तमान में भारत अमृत काल में प्रवेश कर चुका है जो कि बिना अमृत भाषा अर्थात संस्कृत के बिना संभव नहीं है। संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि एक संस्कृति है जो भारत के गौरवशाली इतिहास को दर्शाती है और सभी भारतीयों के लिए ऊर्जा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि संस्कृत के इसी महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति में संस्कृत के प्रचार-प्रसार और संरक्षण के लिए अनेक उपाय किए हैं।

समारोह में विशिष्ट अतिथि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि संस्कृत भाषा संस्कृति से तथा संस्कृति संस्कार से जोड़ती है। मैकाले की दी हुई शिक्षा पद्धति को संस्कृत भाषा ही चुनौती दे सकती सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लगातार प्रयास है की हम अपनी शिक्षा को संस्कार, तकनीक तथा रोजगार से जोड़े। उसी दिशा में हमारी नयी शिक्षा नीति को भी तैयार किया गया है। समारोह में राज्यपाल ने पॉच आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को तथा संस्कृत विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को कुर्सी, टेबल, बैग आदि उपहार स्वरूप भेंट दिया। इसके पहले दीक्षान्त समारोह की शुरूआत शैक्षणिक शिष्टयात्रा,राष्ट्रगान से हुईं। स्वागत भाषण कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित