सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के 41वें दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी राज्यपाल आनंदीबेन

 


— ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र का भी राज्यपाल करेंगी लोकार्पण,समारोह में 30 छात्रों को स्वर्ण पदक मिलेगा

वाराणसी, 23 नवम्बर (हि.स.)। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 41वां दीक्षांत समारोह 25 नवम्बर को ऐतिहासिक मुख्य भवन परिसर में पूर्वांह 11 बजे से आयोजित है। समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल करेंगी। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी,विशिष्ट अतिथि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय शामिल होंगे। दीक्षान्त समारोह में कुल 30 मेधावी विद्यार्थियों के बीच 59 स्वर्ण पदक वितरित होगा।

गुरूवार को विश्वविद्यालय के योग साधना केन्द्र में कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा पत्रकारों से मुखातिब थे। उन्होंने बताया कि समारोह में ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र का लोकार्पण भी राज्यपाल करेंगी। 41 वें दीक्षान्त-महोत्सव में सर्वाधिक दस स्वर्ण पदक आचार्य परीक्षा में सर्वोच्च अंक पाने वाले अभिनव प्रकाश को मिलेगा। अभिनव को डॉ गंगानाथ झा,रिपन,चंद्रशेखर शास्त्री वैकुंठनाथ शास्त्री स्वर्ण पदक,सवाई माधोंसिंह रजत पदक,म.म.नारायण शास्त्री खिस्ते स्वर्ण पदक,साहित्याचार्य परीक्षा,महामंडलेश्वर पवहारी श्री स्वामी बाल—कृष्ण यति महाराज स्वर्णपदक,पं.महादेव उपाध्याय स्वर्ण पदक,विमल कुमार पोद्दार स्वर्णपदक,महाराजा डॉ विभूति नारायण सिंह स्वर्ण पदक प्रदान किया जायेगा।

कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि समारोह में ऋषभ द्विवेदी और प्रवीण पौडेल को 05—05 स्वर्णपदक,प्रिंस शर्मा और विवेक कुमार,श्रवणमणि त्रिपाठी,कौशलेन्द्र मिश्र को तीन—तीन स्वर्ण पदक,जाधव विश्वनाथ,दीपक घोष,अंकित जैन,संध्या पटेल को 2—2 स्वर्ण पदक प्रदान किया जायेगा। कुलपति ने बताया कि इस वर्ष कुल 53 स्वर्ण पदक छात्रों और 06 स्वर्ण पदक छात्राओं को मिला है।

—प्राच्य विद्या के सिद्धपीठ के रूप में सम्पूर्ण विश्व में ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालय

कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि प्राच्य विद्या के सिद्धपीठ के रूप में सम्पूर्ण विश्व में ख्याति प्राप्त सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी अपने गौरवशाली परम्पराओं को अक्षुण्ण रखते हुये अहर्निश सेवा पथ पर अग्रसर है। सन् 1791 में संस्कृत पाठशाला या संस्कृत कालेज के रूप में स्थापित यह संस्था 22 मार्च, 1958 से वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय एवं 1973 से सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में अनेक सोपानों को पार करते हुये सम्प्रति अपनी स्थापना के उद्देश्यों की पूर्ति में अग्रसर है। वर्तमान में इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हमारे संस्कृत महाविद्यालय उत्तर प्रदेश सहित देश के अनेक राज्यों तथा नई दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, सिक्किम, पंश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, लेह एवं अरुणांचल प्रदेश आदि में संचालित है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/पदुम नारायण