राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दुर्लभ पांडुलिपियों का किया निरीक्षण
—सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में राज्यपाल का कुलपति ने किया स्वागत
बोली—दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण संतोषजनक,गतिशील करने का निर्देश
वाराणसी,25 सितम्बर (हि.स.)। प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनन्दीबेन पटेल ने बुधवार को सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के सरस्वती भवन पुस्तकालय का निरीक्षण किया। पुस्तकालय में राज्यपाल ने संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के उपक्रम राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन के पाण्डुलिपि संरक्षण कार्यों का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण संतोषजनक है। इसकी गति में और वृद्धि की जाये, इसके अंदर निहित भारत के ज्ञान संरक्षण के साथ-साथ इसका प्रकाशन हो और समाज के लिए प्रसारित हो। इसके पहले विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने परिसर में स्वागत किया। कुलपति प्रो. शर्मा ने बताया कि राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में सन् 1896 में स्थापित सरस्वती भवन पुस्तकालय में पहुंच कर संग्रहीत 96 हजार दुर्लभ पाण्डुलिपियों के बारे में विस्तार से जानकारी ली और उनमें से सात प्रमुख पाण्डुलिपियों क्रमशः श्रीमद्भागवतम्, रासपंचाध्यायी- सचित्र, भागवतगीता, दुर्गासप्तसती, यंत्रराजकल्पः, सिंहासन बत्तीसी और कृषि पद्धति पाण्डुलिपियों का बारीकी से निरीक्षण कर उनके बारे में जानकारी ली। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के विस्तार भवन में चल रहे पाण्डुलिपि संरक्षण के कार्यों के तीनों प्रकारों प्रिवेंटिव, क्यूरेटिव और मेटाडाटा के निर्माण के गतिविधियों को देखा और उसके बारे में भी जानकारी ली। इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव राकेश कुमार, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. रामपूजन पाण्डेय, प्रो. जितेन्द्र कुमार, पुस्तकालयाध्यक्ष प्रो. राजनाथ, विनयाधिकारी प्रो. दिनेश कुमार गर्ग भी मौजूद रहे। पुस्तकालय में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के निदेशक डॉ. अनिर्वाण दास ने पांडुलिपि से संबंधित स्मृति चिन्ह देकर राज्यपाल का स्वागत किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी