सपा की चुनावी रैलियों में मारपीट और तोड़फोड़ उसकी वास्तविक छवि का हिस्सा

 


लखनऊ, 21 मई (हि.स.)। अपनी अराजकता और निरंकुशता को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं का स्वभाव तो जग जाहिर है। इन दिनों चुनावी माहौल में आदर्श आचार संहिता में भी सपा का अराजक स्वभाव चुनावी सभाओं में खुलकर सामने आ रहा है। आलम तो यहां तक पहुंच चुके हैं कि अब कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तक के सामने आपस में भिड़ते और अराजकता फैलते देखे जा रहे हैं।

समाजवादी पार्टी को गुंडे-माफियाओं को पराश्रय देने के लिए जाना जाता है। अपनी इसी छवि के चलते अक्सर अमन चैन को चोट पहुंचाना और माहौल बिगाड़ने के लिए कार्यकर्ता व समर्थक आम जनता और कमजोर, गरीबों पर जुल्म ढाहते देखे जाते हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल अब इस कदर बढ़ गया है कि उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की उपस्थिति का भी ख्याल नहीं रह गया है और चुनावी रैलियों में मारपीट एंव अराजकता करते देखा जा रहा है।

अपने इस स्वाभाव को लेकर इन दिनों सपा खूब सुर्खियों में है। कार्यकर्ताओं द्वारा सपा अध्यक्ष की रैलियों में मारपीट और तोड़फोड़ कर सुरक्षा बलों को चोट पहुंचाने का दुस्साहसिक कार्य किया जा रहा है। ऐसे मामला चुनावी रैलियों में इन दिनों बार-बार किया जा रहा है। प्रयागराज में बीते दिनों इंडी गठबंधन की हुई रैली में जिस तरह से भीड़ में शामिल सपा के शरारती तत्वों ने बैरिकेटिंग तोड़कर जो जनता और सुरक्षा कर्मियों को नुकसान पहुंचाने का कार्य किया, उसे भुलाया नहीं जा सकता है। अगर समय रहते प्रशासन स्थिति को ना संभालता तो भीड़ में शामिल अराजक कार्यकर्ता चुनावी माहौल बिगाड़ने में कोशिश में कामयाब हो सकते थे।

इस घटना को अभी तीन दिन भी नहीं हुए थी कि मंगलवार को आजमगढ़ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की चुनावी जनसभा के दौरान कानून को सपा सरकार में अपनी जेब में रखने वाले अराजक कार्यकर्ताओं ने मारपीट और कुर्सियां-पथराव कर प्रशासन और सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने की हरकत कर डाली। हैरत की बात यह है कि इस दौरान मंच पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपना भाषण दे रहे थे। अपने नेता को खुश करने के लिए सपा कार्यकर्ताओं ने इस कृत्य को कारित किया। सोशल मीडिया में इन दिनों ही घटनाक्रमों के वीडियो वायरल होने पर सपा की अराजकता और कार्यकर्ताओं का गुंडा स्वभाव खूब चर्चा में है। हैरानी की बात यह है कि जब चुनावी माहौली बिगाड़ने का प्रयास कर रहे शारारती कार्यकर्ताओं पर नियंत्रित किया जाता है तो सपा अध्यक्ष सुरक्षा कर्मियों को उन्हें रोक कर मनोबल बढ़ाने कार्य किया जा रहा है। ऐसे में साफ है कि चुनाव के रूझान का भय अंदर ही अंदर सपा को ढरा रहा है और इसके चलते ही शांतिपूर्ण चुनावी माहौल को अघात पहुंचाने की साजिश से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

वरिष्ठ पत्रकार अंजनी निगम का कहना है कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अपने पुराने ढर्रे (अराजकता, गुंडा, माफिया) जैसे छवि से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। आलम यह है कि पार्टी की रैलियों में भी अनुशासनहीनता की घटनाएं, मारपीट और माहौल बिगाड़ने से भी कार्यकर्ता गुरेज नहीं कर रहे हैं। आदर्श आचार संहिता के बावजूद ऐसा करना उनके निरंकुश बन चुके स्वभाव को दृर्शाता है। कोई बड़ी बात नहीं कि चुनाव में आने वाले परिणाम को भांप कर सपा के द्वारा चुनावी माहौल खराब करने के लिए ऐसी हरकतें सोची समझी साजिश के तहत कराई जा रही हों। हाल की सपा रैलियों की घटनाओं से एक बात साफ है कि 2017 में उप्र के चुनाव परिणाम आने के बाद सत्ता से बाहर हुई सपा अपनी छवि में सुधार या यूं कहे कि बाहर अभी तक नहीं कर सकी है।

हिन्दुस्थान समाचार/मोहित/राजेश