धान की नई किस्म 'मालवीय मनीला सिंचित धान-1' से किसानों को मिलेगी अधिक उपज

 


—जल्दी पकने वाली किस्म, 115 से 120 दिन में कटने के लिए फसल हो जाएगी तैयार

—आईसीएआर ने बीएचयू - ईरी सहयोग से तैयार किया नई किस्म, 2024 से किसानों को मिलेगा इसका बीज

वाराणसी, 06 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश, बिहार और उड़ीसा के किसानों की आय दुगुनी करने के साथ अधिक उपज दिलाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने बीएचयू और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ईरी ) के सहयोग से तैयार धान की नई किस्म 'मालवीय मनीला सिंचित धान-1' को पास कर दिया है। धान की यह नई किस्म जल्दी पकने वाली किस्म है । जो 115 से 120 दिन में रोपाई के बाद पक जाती है । यह मध्यम लम्बाई वाली किस्म है। जिसकी लंबाई 102 से 110 सेंटीमीटर है। इसकी उपज क्षमता 55 से 64 कुंतल प्रति हेक्टेयर है । विकसित धान की इस नई किस्म 'मालवीय मनीला सिंचित धान-1' को पूरे भारत में लांच कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी 3 साल के लिए पूरे राज्य में परीक्षण के लिए अनुमति दे दी है। धान के नर्ई किस्म को कृषि वैज्ञानिकों ने 15 साल में तैयार किया है। बीएचयू के प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह के नेतृत्व में उनके वैज्ञानिकों की टीम डॉ. जयसुधा एस., डॉ. धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. आकांक्षा सिंह तथा अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ईरी ) मनीला, फिलिपींस के वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार तथा डॉ. विकास कुमार सिंह ने इसे मिलकर तैयार किया है।

बीएचयू के प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह ने शनिवार को बताया कि लगातार तीन वर्षों के अखिल भारतीय परीक्षण में उत्तम प्रदर्शन पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की वैराइटल आईडेंटिफिकेशन कमेटी ने अपनी 98वें वार्षिक धान ग्रुप मीटिंग की बैठक में नई किस्म को पास किया। बैठक आसाम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहट, आसाम में पिछले 4 एवं 5 मई हुई। उन्होंने बताया कि धान के नई किस्म की हलिंग, मिलिंग तथा खड़ा चावल निकलने का प्रतिशत अधिक है । जो क्रमशः 79.90फीसद, 68.50फीसद तथा 63.50 फीसद है।

प्रो. सिंह के अनुसार नई बीज के चावल की लंबाई 7.0 मिलीमीटर तथा पतलाई 2.1 मिलीमीटर है। ये एक लंबा पतला चावल है । यह बहुत सारे प्रमुख रोगों तथा कीट पतंगों के लिए प्रतिरोधी / सहनशील है, जैसे; लीफ स्पॉट, ब्राउन स्पॉट, बैक्टीरियल लीफब्लाइट , स्टेम बोरर, लीफ फोल्डर, ब्राउन प्लांट हापर, गालमिज इत्यादि। उन्होंने बताया कि किसानों को नई बीज अगले वर्ष खरीफ 2024 में उपलब्ध हो जाएगा ।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन