पराली जलाने के बजाय खाद बनाकर किसान मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाकर कमा सकते हैं लाभ: डॉ. खलील खान
कानपुर,17 नवम्बर (हि.स.)। धान की फसल के अवशेषों (पराली) आदि को जलाने के बजाय किसान भाई खाद बनाकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाकर लाभ कमा सकते हैं। जबकि इसके जलाने से उनके जड़,तना, पत्तियां आदि के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यह जानकारी शुक्रवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर के मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने दी।
उन्होंने बताया कि किसान अपने खेतों में धान की फसल के अवशेषों (पराली) आदि को जला देते है, जिससे पोषक नष्ट हो जाते है और इसके साथ ही उर्वरा शक्ति भी दिन प्रतिदिन कमजोर हो जाती है।
मृदा वैज्ञानिक डॉ.खान ने यह भी बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से मृदा के तापमान में वृद्धि हो जाती है। जिसके कारण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत असर पड़ता है। मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं जिसके कारण मृदा में उपस्थित जीवांश अच्छी प्रकार से सड़ नहीं पाते, जिससे पौधे पोषक तत्व प्राप्त नहीं कर पाते हैं। परिणाम स्वरूप फसल उत्पादन में गिरावट आती है इसके अतिरिक्त वातावरण के साथ-साथ पशुओं के चारे के लिए भी व्यवस्था करने में समस्या आती है।
उन्होंने किसान भाइयों से अपील किया है कि फसल अवशेषों में आग लगाने से अन्य फसलों तथा घरों में भी आग लगने की संभावना बनी रहती है वायु प्रदूषण से अस्थमा और एलर्जी जैसी कई प्रकार की घातक बीमारियों को बढ़ावा मिलता है एवं दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। वह इसे न जलाएं और आगे बताया कि किसान फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन कर कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर प्रयोग करें। इससे खेत की उर्वरा शक्ति के साथ ही भूमि में लाभदायक जीवाणु की संख्या में भी वृद्धि होगी तथा मृदा के भौतिक एवं रासायनिक संरचना में सुधार होगा, जिससे भूमि जल धारण क्षमता एवं वायु संचार में वृद्धि होती है।फसल अवशेषों के प्रबंधन करने से खरपतवार कम होते हैं तथा जल वाष्प उत्सर्जन भी कम होता है। जिससे सिंचाई जल की उपयोगिता बढ़ती है।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को जलाने से होने वाली हानियों को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने फसल अवशेष जलाना दंडनीय अपराध है। फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करते हुए लाभ प्राप्त कर किसान लाभान्वित हों ।भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हुए वातावरण को स्वच्छ बनाएं जिससे कि किसान भाई अधिक से अधिक फसल उत्पादन प्राप्त करते हुए अपनी आय में वृद्धि कर सकें। फसल अवशेष प्रबंधन हेतु आधुनिक प्रमुख कृषि यंत्र जैसे मल्चर,सुपर सीडर,पैडी स्ट्रॉ आदि का प्रयोग कर फसल अवशेषों का प्रबंधन करें।
हिन्दुस्थान समाचार/ राम बहादुर/बृजनंदन