किसानाें ने पान की बेल काे नाग देवता के रूप में पूजा

 


महोबा, 9 अगस्त (हि.स.)। नाग पंचमी का पर्व पूरे जिले में हर्ष और उत्साह के साथ भक्ति भाव के साथ मनाया गया। वीर भूमि में पान का नाग पंचमी के दिन विशेष महत्व है। पान की खेती करने वाले किसानाें ने पान की बेल काे नाग देवता के रूप में पूजा की। आज के दिन पान की बेल तोड़ना वर्जित होता है। जिले भर में जहां नागपंचमी के अवसर पर लाेगाें ने अपने ताैर-तरीके से पर्व मनाया ताे पान की खेती करने वाले किसानाें ने पान की लताआें की नाग रूप में पूजा-अर्चना की।

शुक्रवार को नाग पंचमी के पावन पर्व पर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला। सुबह से ही महिलाओं ने स्नान कर गाय के गोबर से घर के दरवाजों पर नाग देवता बनाया व उनकी विधि-विधान से पूजा की। जनपद मुख्यालय के आलमपुरा निवासी पंडित जन्मेजय चतुर्वेदी ने बताया कि नाग पंचमी सावन के महीने में पड़ती है, जो कि भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र माह है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार नागों को हमेशा एक विशेष स्थान दिया जाता है और उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है। नाग पंचमी के इस शुभ दिन पर, भक्त भगवान के रूप में नागों, सर्पों या सांपों की पूजा करते हैं और नाग देवता के मंदिरों पर दूध चढ़ाते हैं।

नाग पंचमी पर पान की बेल ताेड़ना मना

पान के बरेजा लगाने वाले किसान पप्पू चौरसिया ने बताया कि चौरसिया समाज के आराध्य देव नाग देवता ही हैं । उनके समाज के लोग पान की बेल को नाग बेल मानकर पूजते हैं और नाग पंचमी के दिन पान बेल को तोड़ना वर्जित होता है। नाग देवता की पूजा करने से पान की खेती में वृद्धि होती है। मान्यता है कि आपदाओं को दूर करने के लिए नाग देवता की पूजा की जाती है। जनपद मुख्यालय में नागोरिया मंदिर में भी भारी संख्या में भक्तों ने पहुंचकर नाग देवता की पूजा की।

हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Dwivedi / शरद चंद्र बाजपेयी / Siyaram Pandey