बिहार के किसानों को सीमैप दे रहा औषधीय और सगंध पौधों के उत्पादन का प्रशिक्षण
लखनऊ, 24 सितम्बर (हि.स.)। सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप), लखनऊ एवं कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) ने बिहार के किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की। मंगलवार को शुरू हुए चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में औषधीय एवं सगंध पौधों के उत्पादन, प्राथमिक प्रसंस्करण व विपणन विषय पर वैज्ञानिक किसानों को प्रशिक्षित करेंगे।
इस कार्यक्रम में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा), सीवान, बिहार के विभिन्न जिलों से 42 किसानों ने भाग लिया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक, डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने किया। डा. प्रबोध कुमार ने कहा कि सीएसआईआर-सीमैप पिछले 60 वर्षों से औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती मे किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है तथा नई-नई कृषि तकनीकी, पौध सामग्री एवं उन्नतशील प्रजातियां किसानों को उपलब्ध करा रहा है। इसके फलस्वरूप लाखों किसानों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचा है। किसानों द्वारा संस्थान की विकसित उन्नत प्रजातियों एवं तकनीकों को अपनाकर देश को मेंथा तथा नीबूघास के तेल के उत्पादन में विश्व मे प्रथम स्थान बनाया है। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप लोग यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने-अपने जिलों के किसानों को औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती प्रति जागरूक करेंगे। इस तरह सभी लोग मिल कर कार्य करेंगे तो दूसरे सगंधीय तेलों जैसे खस, तुलसी, पामारोजा व अन्य सगंधीय तेलों मे आत्मनिर्भरता के साथ निर्यात भी कर सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि औषधीय एवं सगंध पौधों कि खेती में यदि कोई कठिनाई आती है तो प्रतिभागी सीएसआईआर-सीमैप से बात कर समाधान पा सकते हैं।
डॉ. संजय कुमार ने एरोमा मिशन की गतिविधियों के बारे में प्रतिभागियों को बताया एवं डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव ने औषधीय एवं सगंध फसलों पर आधारित उद्यमिता विकास पर प्रतिभागियों से चर्चा की। प्रशिक्षण कार्यक्रम के तकनीकी सत्र मे डॉ. राम सुरेश शर्मा ने संस्थान द्वारा प्रदत्त सेवाओं एवं गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की तथा डॉ. संजय कुमार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक ने नीबूघास व पामरोजा के उत्पादन की उन्नत तकनीकियों के बारे में प्रतिभागियों को बताया। डॉ. अनिल कुमार सिंह ने मेंथा के उत्पादन एवं डॉ. राजेश वर्मा ने खस व जिरेनियम के उत्पादन की उन्नत तकनीकियों को साझा किया गया।
डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव ने जावाघास के उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी प्रतिभागियों से साझा की। डॉ. ऋषिकेश भिसे ने कालमेघ की उत्पादन तकनीकी के बारे मे जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के विभिन्न वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी व शोधार्थी आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय