आमदनी सुरक्षित करने के लिए कृषि विविधकरण अपनानाएं किसान : डॉ. अजय कुमार सिंह

 


कानपुर, 22 दिसंबर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में कम्पनी बाग़ स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर में चल रहे फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत पांच दिवसीय कृषक प्रशिक्षण 18 से 22 दिसंबर को सफलतापूर्वक समापन हो गया है। यह जानकारी सोमवार को केंद्र दलीप नगर प्रभारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने दी।

दलीप नगर प्रभारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि इस मौके पर किसानों को वर्तमान परिस्थिति के अनुसार खेती करने की सलाह के साथ-साथ किसानों को अपनी आमदनी को सुरक्षित बनाए रखने के लिए कृषि विविधीकरण अपनाना आवश्यक है। गांवों में मधुमक्खी पालन, गोपालन, बीज उत्पादन, केले की खेती, ड्रैगन फ्रूट आदि नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करें जिससे आमदनी में इजाफा हो।

मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कहा कि वर्तमान समय में जैव संवर्धित फसलों की प्रजातियों की खेती अधिक लाभप्रद होंगी। फसलों के अवशेषों को जलाने से मानव एवं मृदा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि फसल के अवशेष का प्रयोग अपनी आर्थिक समृद्धि के लिए कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि धान के अवशेषों का मल्चिंग के रूप में प्रयोग कर सिंचाई की आवश्यकता को कम कर सकते हैं।

डॉ. राजेश राय ने कृषक उत्पादन संगठन के माध्यम से क्लस्टर खेती को बढ़ावा देने और इसके महत्व एवं लाभ के बारे में विस्तार से बताया।

डॉ. निमिषा अवस्थी ने धान की पराली को मिट्टी में समाहित करने की तकनीकी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। तथा भविष्य में होने वाले जलवायु परिवर्तन के साथ अपनी खेती में परिवर्तन करने की किसानों को सलाह दी।प्रशिक्षण के अंतिम दिन किसानों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

इस मौके पर विभिन्न गांवों के 25 किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और अंत में पराली न स्वयं जलाने एवं न दूसरों को जलाने देने की शपथ ली। सभी ने एक स्वर में कहा कि फसल अवशेषों को मिट्टी में मिला कर मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद