भीषण गर्मी बिगाड़ रहा इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस, प्रभावित हो रहा लिवर और मस्तिष्क
कानपुर, 03 जून (हि.स.)। सूरज की आग उगलती लपटों से लोग बिलबिला रहे हैं और शुष्क वातावरण होने से भीषण गर्मी शरीर पर प्रतिकूल असर डाल रही है। इस भीषण गर्मी से शरीर में इलेक्ट्रालाइट बैलेंस बिगड़ रहा है और लिवर व मस्तिष्क भी प्रभावित हो रहा है। इससे अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बराबर बढ़ोत्तरी हो रही है। डाॅक्टरों का कहना है कि लोगों के मस्तिष्क का गर्मी नियंत्रण सिस्टम संयुक्त रूप से फेल हो रहा है। ऐसे में तरल पेय पदार्थों का लोग अधिक सेवन करें और गरिष्ठ भोजन से परहेज करें।
केरल में मानसून ने दस्तक दे दी है और बारिश भी होने लगी, लेकिन उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत में भीषण गर्मी कहर बरपा रही है। इसके अलावा वातावरण शुष्क होने से यह गर्मी जानलेवा साबित हो रही है। बाहर माहौल की गर्मी और शरीर के अंदर के ताप में तालमेल न बैठ पाने के कारण लोगों को तेज बुखार आ रहा है। ऐसी स्थिति अधिक देर तक रहने पर शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बिगड़ जाता है और लिवर और मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है। इस प्रकार के मरीजों की संख्या अस्पतालों में लगातार बढ़ रही है, जिसमें डिहाइड्रेशन के मरीज अधिक रहते हैं।
जिला अस्पताल उर्सला के डाॅ. शैलेन्द्र तिवारी ने सोमवार को बताया कि भीषण गर्मी होने की वजह से अस्पताल में इन दिनों तेज बुखार के रोगी बढ़े हुए हैं। तेज बुखार के रोगियों की हालत बिगड़ने पर इमरजेंसी में भर्ती किया जाता है, क्योंकि उनमें डिहाइड्रेशन अधिक रहता है जो किसी भी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है। वरिष्ठ फिजीशियन डाॅ. विशाल गुप्ता ने बताया कि लगातार गर्मी बने रहने से मस्तिष्क का गर्मी नियंत्रण सिस्टम मुख्य रूप से फेल हो जाता है। इसके फेल होते ही शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। मस्तिष्क के जिस क्षेत्र में हीट रेग्युलेटरी सिस्टम होता है, उसी क्षेत्र से इंडोक्राइन हारमोंस का रिसाव भी होता है। यह स्थिति आने पर रोगी के शरीर में पानी और नमक घट जाता है। डायरिया, गैस्ट्रोइंटाइटिस और उल्टी-दस्त के लक्षण आ जाते हैं। शरीर में पानी घटने से गुर्दों, लिवर, हृदय पर बुरा असर भी आता है।
शरीर का ताप नियंत्रित करना प्राथमिकता
वरिष्ठ फिजीशियन डाॅ. कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि मुनष्य का शरीर अधिकतम 42 डिग्री तापमान को बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन इन दिनों तापमान 44 से अधिक रहता है। इससे शरीर अधिक तापमान को एडजस्ट नहीं कर पाता और बुखार, डिहाइड्रेशन व डायरिया आदि की समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में शरीर का अधिक तापमान होने पर रोगी को तुरंत ठंडी जगह या एयर कंडीशन में ले जाएं। इससे शरीर का ताप नियंत्रित होगा। साथ ही तुरंत डॉक्टर से स्वास्थ्य परीक्षण कराएं। शरीर का तापमान अधिक होने पर शरीर के मेटाबोलिज्म पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। विभिन्न प्रकार के रसायन रिसते हैं, जिनसे शरीर को नुकसान होता है।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/सियाराम