गैर खाद्य फीडस्टॉक से इथेनाल उत्पादन पर देना होगा जोर : प्रो. डी स्वाईन

 


कानपुर, 30 अप्रैल (हि.स.)। पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2025 रखा गया है। यह लक्ष्य केवल चीनी उद्योग से प्राप्त फीडस्टॉक और अनाज का उपयोग करके प्राप्त नहीं किया जा सकता है। निर्धारित मात्रा में इथेनाल की आवश्यकता की पूर्ति हेतु गैर-खाद्य फीडस्टॉक से इथेनाल उत्पादन पर जोर देना होगा, जो कि भोजन बनाम ईंधन संघर्ष से भी बचाता है। यह बातें मंगलवार को अखिल भारतीय सेमिनार में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) कानपुर के निदेशक प्रो. डी स्वाईन ने कही।

राष्ट्रीय शर्करा संस्थान कानपुर में 'जैव-ऊर्जा के लिए संसाधनों की योजना और अनुकूलन' विषय पर एक अखिल भारतीय सेमीनार का आयोजन संस्थान के प्रशिक्षण केन्द्र शर्करा शोध में हुआ। संस्थान के निदेशक प्रो. डी स्वाईन ने सफेद चीनी की जगह कच्ची चीनी के उत्पादन पर जोर दिया, जो न केवल मानव उपभोग के लिए स्वास्थ्यप्रद है, बल्कि उसके उत्पादन प्रक्रिया में आने वाली लागत भी किफायती है। वहीं चीनी उद्योग को चीनी की मांग और आपूर्ति को संतुलित करने और जैव-आधारित उत्पादों और हरित प्रौद्योगिकियों के लिए एक आशाजनक केंद्र के रूप में उभरने की दिशा में तत्पर रहना होगा।

एशियन एसोसिएशन ऑफ शुगर केन टेक्नोलॉजिस्ट के अध्यक्ष के पी सिंह ने वर्तमान परिदृश्य में चीनी और उससे संबद्ध क्षेत्रों में सेमिनार के विषय की प्रासंगिकता और महत्व के बारे में बताया। वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के महानिदेशक संभाजी के पाटिल ने कहा कि चीनी उद्योग, जो स्वच्छ, हरित और नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन का प्रमुख केंद्र है, भविष्य के लिए ईंधन ग्रीन हाइड्रोजन का एक अच्छा संभावित स्रोत हो सकता है।

एनएसआई के जैव रसायन विभाग प्रमुख डॉ. सीमा परोहा ने कहा कि व्यावसायिक रुप से सिद्ध प्रौद्योगिकियां जैसे कि प्रति वर्ष लगभग 2 मिलियन मीट्रिक टन की सीमा तक बायो-गैस व सीबीजी के उत्पादन के लिए फिल्टर केक का उपयोग जैव-ऊर्जा और चीनी कारखानों के राजस्व को बढ़ाने में एक वरदान साबित हो सकती हैं, जो कि समय की मांग भी है।

एसईडीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक विवेक वर्मा ने बायोमास को बॉयलर में जलाने के बजाय इसके इथेनॉल, उर्वरक, बायो-डिग्रेडेबल पॉलिमर, कार्बनिक रसायनों आदि के कुशल उपयोग के बारे में बताया एवं चीनी और अनाज आधारित आसवनी इकाइयों में बॉयलर के प्रतिस्थापन के रूप में एमवीआर प्रौद्योगिकियों को लागू करने की संभावनाओं पर जोर दिया।

सेमीनार में ऊर्जा दक्षता से सम्बंधित भारतीय चीनी उद्योग में नवीनतम विकास और अवसर, चीनी उद्योग से हरित हाइड्रोजन की क्षमता, आपूर्ति श्रृंखला और प्रक्रिया पैरामीटर अनुकूलन, प्राकृतिक क्रिस्टल चीनी की व्यवहार्यता और जैव आधारित टिकाऊ अर्थव्यवस्था आदि विषयों से संबंधित सात शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। साथ ही सेमिनार में भारत के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में स्थित चीनी मिलों और आसवनी इकाइयों में कार्यरत कार्यकारी अध्यक्षों, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, महाप्रबंधकों और वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों ने भाग लिया।

इस दौरान एनएसआई के मुख्य अभिकल्पक अखिलेश कुमार पाण्डेय, एस के त्रिवेदी, अशोक गर्ग, संजय चौहान, विनय कुमार, डॉ. आर अनंतालक्ष्मी, डॉ. अशोक कुमार, वीरेंद्र कुमार, डॉ. सुधाशु मोहन, महेंद्र यादव, वीपी सिंह, के कोंडे, ए के नंदा, अमर सिंह और अमित नेगी आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/राजेश