दस वर्षों में दोगुना से ज्यादा बढ़ी बिजली सप्लाई, फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत का खस्ताहाल

 


लखनऊ, 09 अगस्त (हि.स.)।

एक तरफ प्रदेश जहां सर्वाधिक बिजली खपत व सप्लाई करने वाला बन गया है। वहीं दूसरी तरफ

आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में कम बिजली सप्लाई करने वाले प्रदेशों में भी इसकी गिनती

है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही है।

वर्तमान में धान की सिंचाई के लिए जहां किसानों को अधिक बिजली चाहिए, वहीं उन्हें

16 घंटे तक भी बिजली नहीं मिल पा रही है।

अभी छह अगस्त प्रदेश

में अधिकतम मांग 27966 मेगावाट था। वहीं 22728 मेगावाट मांग के साथ महाराष्ट्र दूसरे

नम्बर पर आ गया, जबकि गुजरात में 16883 मेगावाट की अधिकतम मांग थी। 2013- 2014 में

प्रदेश में जहां अधिकतम लोड 12327 मेगावाट था। वहीं 2024 में यह दोगुना से भी अधिक

बढ़कर 30618 (सात अगस्त को) मेगावाट हो गया। 2023-24 में यह 28284 मेगावाट था।

2022-23 में 26589 मेगावाट अधिकतम मांग रही।

वहीं दूसरी तरफ देखा

जाय तो उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां पर ग्रामीण क्षेत्र में

इन दोनों वित्तीय वर्ष में केवल 17 घण्टे 30 मिनट से 18 घंटे 10 मिनट के बीच बिजली दी जा रही है और

देश के 95 प्रतिशत

राज्यों में ग्रामीण क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं को 20 से 22 घंटे कहीं-कहीं 23 घंटे भी बिजली आपूर्ति हो रही है। सबसे

बड़ा चौंकाने वाला मामला यह है कि बिहार भी अपने ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को 20 से 22 घंटा बिजली दे रहा है। गुजरात अपने

ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को 23 घंटे से

ज्यादा बिजली दे रहा है। मध्य प्रदेश अपने ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं को 20 से 22 घंटे बिजली दे रहा है। महाराष्ट्र 23 घंटे से ज्यादा बिजली दे रहा है।

पंजाब 21 से 22 घंटे बिजली दे रहा है। राजस्थान 21 घंटे बिजली दे रहा है। तमिलनाडु 23 घंटे बिजली दे रहा है। उत्तराखंड या 21 घंटे, पश्चिम बंगाल भी 23 घंटे से ज्यादा बिजली दे रहा है।ऐसे में यह उत्तर प्रदेश के लिए बहुत ही चिंता का विषय है।

जबकि देश का राष्ट्रीय औसत लगभग ग्रामीण क्षेत्र के लिए 22 घंटे वर्ष 2023-24 का आ रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय / मोहित वर्मा