वोट के सीजन में राम और सनातन के विरोधी भी राम-राम करने को मजबूर : दिनेश शर्मा
-राम भक्तों पर गोली चलवाने वाले भी अब बनवा रहे हैं मंदिर : पूर्व उप मुख्यमंत्री
लखनऊ, 03 मार्च (हि.स.)। राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने रविवार को यहां कहा कि वोट का सीजन राम और सनातन के विरोधियों को भी राम राम करने को मजबूर कर रहा है। राम भक्तों पर गोली चलवानें वाली समाजवादी पार्टी के नेता इटावा में मंदिर बनवा रहे हैं। आजकल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के माथे पर चन्दन है पर दिल में क्रन्दन है कि जनता क्यों कर रही मोदी का वंदन है।
राजधानी लखनऊ के विश्वेश्वरैया सभागार में आयोजित विशाल ब्राह्मण महाकुंभ में डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस और उनके सहयोगी सनातन का लगातार अपमान कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि कांग्रेस के संरक्षण में सनातन के अपमान की उसके सहयोगियों के बीच एक प्रतिस्पर्धा सी चल रही है। कांग्रेस खुद ही राम के अस्तित्व पर सवाल उठा चुकी है और उसके सबसे धनिष्ठ सहयोगी डीएमके के बडे नेता सनातन की तुलना कोरोना जैसी महामारी से करते हैं तथा इसे समाप्त करने की बात करते हैं। कांग्रेस के दूसरे सहयोगी सपा के लोग तो हिन्दू धर्म को धोखा ही कहने लगे थे।
विपक्ष की इन टिप्पणियों को घटिया बताते हुए उन्होंने कहा कि कोई सनातन को समाप्त नहीं कर सकता है। सनातन का अर्थ ही राष्ट्र को जोडने से है। अब जब जनता ने तय कर लिया है कि जो राम को लाए है हम उनको ही लाएगें इसके बाद मंदिर निर्माण का विरोध करने वाले भगवान राम के दर्शन करने पहुच रहे हैं। ऐसे लोग ध्यान रखे कि जो राम , सनातन और देश का नहीं हो सकता है वह इस देश की जनता का भी नहीं हो सकता है। जो देश की जनता का नहीं हो सकता उसे सत्ता में आने का अधिकार नहीं है। इस देश की सेवा का अधिकार उसे ही है जो भगवान राम की सेवा करें। प्रधानमंत्री ने ही समाज की भव्य राम मंदिर की भावना को साकार स्वरूप दिय है।
सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि देश में गरीब, महिला, किसान और युवा चार ही जातियां है तथा इनके सशक्तीकरण के लिए कार्य करना है। विपक्ष को इसमें भी जातिवाद ही नजर आता है क्योंकि उनका काम ही जातियों में बांटकर राजनीति की रोटी सेंकना रह गया है।
डा. शर्मा ने कहा कि ब्रह्म समाज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने व दुनिया के नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करने के लिए संकल्पित है। ये वर्ग विकृतियों को दूर कर समाज में एकता और समरसता लाने का कार्य करता है। असल में यह जाति नहीं बल्कि श्रेष्ठ जीवन जीने के संस्कार का नाम है जो सनातन और देवी देवताओं के सम्मान का संकल्प लेता है। समाज का यह ऐसा वर्ग है जो सबको जोड़ने के साथ सबके कल्याण की कामना करता है। वह बदला लेने के लिए नहीं बल्कि बदलाव के लिए कार्य करता है। वह देश की अस्मिता की रक्षा के लिए कटिबद्ध होने के साथ ही देश को मजबूत बनाने के लिए कार्य करता है। ब्राह्मण को देवता भी कहा जाता है क्योंकि वह सदाचारी, राष्ट्र के प्रति समर्पित, देवी देवताओं का सम्मान करता है। ब्राह्मण को केवल सम्मान चाहिए जो केवल भाजपा ने दिया है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि आक्रान्ताओं ने देश को लूटने का काम किया था पर वे भारत की संस्कृति और संस्कार को नहीं लूट सके। देश की संस्कृति को आज भले ही तमाम प्रकार से कलंकित करने के कार्य हो रहे हैं पर इसी ने उस समय जोडने का काम किया था। यह जोडने वाला ही ब्राह्मण है जो जमीन पर लेटने के साथ ही पठन पाठन व कर्मकांड का कार्य करने के साथ ही विद्या का दान देकर दूसरों को श्रेठ बनाता था।
उन्होंने कहा कि ब्राह्मण वहीं है जो राष्ट्र के लिए समर्पित हो। मैकाले ने अपनी पुस्तक में लिखा था कि इस देश को तोडने के लिए पहले यहां की सनातन संस्कृति के भाव को समाप्त करना होगा। यह ऐसा वर्ग है जो अग्रेजों के शोषण का पहला शिकार होता था। आक्रान्ताओं ने चोटी काटने से लेकर जनेऊ जलाने और शास्त्रों को नष्ट कर समाज के इस वर्ग को भयभीत करने का प्रयास किया परन्तु ये अपनी संस्कृति के संरक्षण में लगा रहा। वे ऐसा करके भारत के समाज में बिखराव लाने की साजिश कर रहे थे। जब नालन्दा और तक्षशिला में आग लगाई गई और पाण्डुलिपिया जली उस समय ब्राह्मण समाज ने उने याद कर दोबारा से उनका लेखन कर भारत की संस्कृति को संरक्षित करने का कार्य किया था।
उन्होंने कहा कि भारत में जाति व्यवस्था कभी नहीं रही है। वर्ण व्यवस्था में शिक्षा देने व भिक्षाटन करने वाला ब्राह्मण, रक्षा करने वाला क्षत्रिय, व्यवसाय करने वाला वैश्य तथा भगवान के सबसे प्रिय और जो कोई काम ना कर पाए, उसे कार्य रूप देने वाले को शूद्र कहा गया। भगवान कृष्ण ने जब अर्जुन को गीता का उपदेश दिया तब ब्राह्मण, जब शत्रुओं को संहार किया सुदर्शन चक्र उठाया तब क्षत्रिय, जब गऊ चराई तब यदुवंशी तथा जब सेवा भाव में आए तो शूद्र वर्ण का अनुसरण किया। भारत में वर्ण परिवर्तन की व्यवस्था रही थी।
सांसद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनावी संग्राम होने जा रहा है। इसमें वोट रूपी हथियार का प्रयोग होना है। भाजपा के पक्ष में दिया गया वोट कांग्रेस और सपाई संस्कृति को समाप्त करेगा।
लखनऊ विश्वविद्यालय में एक अन्य कार्यक्रम में राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान“ द्वारा आयोजित पुरुस्कार वितरण समारोह जिसमें लेखन करने वाले तमाम कर्मचारी एवं अधिकारी जिन्होंने साहित्य लेखन किया है उन्हें 24 लाख रुपए तक राशि का पुरस्कार दिया गया एवं कवि सम्मेलन में उन्होंने कहा कि लेखनी एक महत्वपूर्ण हथियार है। लेखनी समय के साथ गंभीर व परिपक्व होती है और नए आयामों को छूती है। यह आनन्द व गौरव देती है। यह राष्ट्र के निर्माण में दशा और दिशा बदलने की आजादी देती है। उन्होंने 24 साहित्यकारों को एक एक लाख की पुरस्कार राशि व स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव भाषा जितेन्द्र कुमार, प्रमुख् सचिव उच्च शिक्षा एमपी अग्रवाल , प्रमुख सचिव डा. हरिओम एवं विशेष सचिव उच्च शिक्षा डा. अखिलेश मिश्र, महामंत्री सीमा गुप्ता विद्या भारती से डॉ जयशंकर पांडे प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/पीएन द्विवेदी/राजेश