वाराणसी सहित पूरे देश में 31 अक्टूबर को मनेगी दीपावली,विद्वानों का निर्णय

 


— इस वर्ष 2024 में पारम्परिक गणित से निर्मित पंचांगों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं

वाराणसी,15 अक्टूबर(हि.स.)। वाराणसी सहित पूरे देश में दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनेगी। शास्त्रों में दीपावली की तिथि तय होने में मुख्यकाल प्रदोष में अमावस्या का होना आवश्यक बताया गया है। इस वर्ष प्रदोष ( 2 घण्टा 24 मिनट) एवं निशीथ (अर्धरात्रि) में अमावस्या 31 अक्टूबर 2024 को है। इसलिये 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्रसम्मत है। ये निर्णय ज्योतिष विभाग, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद्,श्री काशी विद्वत् परिषद् और काशी के विद्वानों ने संयुक्त बैठक के बाद दिया है। मंगलवार को बीएचयू के ज्योतिष विभाग, संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय में आयोजित पत्रकार वार्ता में समन्वयक, विश्वपंचांग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रो.विनय पांडेय ने ​काशी के विद्वानाें के निर्णय की जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि देश के किसी भी भाग में 01 नवम्बर को पूर्ण प्रदोष काल में अमावस्या की प्राप्ति नहीं है, अतः 1 नवम्बर को किसी भी मत से दीपावली मनाना शास्त्रोचित नहीं है। इस वर्ष 2024 में पारम्परिक गणित के द्वारा निर्मित पंचांगों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं है । क्योंकि उन सभी पंचांगों के अनुसार अमावस्या का आरंभ 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के पहले होकर एक तारीख़ को सूर्यास्त के पूर्व ही समाप्त भी हो जा रही है, जिससे देश के सभी भागों में पारंपरिक सिद्धांतों से निर्मित पंचांगों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाया जाना निर्विवाद रूप में एक मत से सिद्ध है । परंतु दृश्य गणित से साधित पंचांगों के अनुसार देश के कुछ भागों में तो अमावस्या 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के पहले आरंभ होकर एक नवंबर को सूर्यास्त के बाद 1 घटी से पहले ही समाप्त हो जा रही है । जिससे उन क्षेत्रों में भी दीपावली को लेकर कोई भेद शास्त्रीय विधि से उपस्थित नहीं है। और वहाँ भी दीपावली 31 अक्टूबर को निर्विवाद रूप में सिद्ध हो रही है । दृश्य गणित के द्वारा देश के कुछ भागों जैसे गुजरात, राजस्थान एवं केरल के कुछ क्षेत्रों में अमावस्या 31 अक्टूबर के सूर्यास्त के पहले आरंभ होकर एक नवंबर को सूर्यास्त के बाद प्रदोष में कुछ काल तक व्याप्त हो रही है ।जिससे 31 अक्टूबर एवं एक नवम्बर के स्थिति को लेकर कुछ विरोधाभास की स्थितियां उत्पन्न हो गई हैं, परंतु धर्म शास्त्रीय वचनों का समग्र अनुशीलन करते हुए वहाँ भी दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को ही सिद्ध हो रही है। बैठक में प्रो. रामचंद्र पाण्डेय, प्रो. नागेन्द्र पाण्डेय (अध्यक्ष श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद्), प्रो. चन्द्रमौलि उपाध्याय , प्रो. रामनारायण द्विवेदी,प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री आदि ने भागीदारी की।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी