आईआईटी में सफल सम्मेलन के जरिये भाषा और संज्ञानात्मक सीमाओं पर हुई चर्चा
कानपुर, 09 दिसम्बर (हि.स.)। साउथ एशियन फोरम ऑन द एक्विजिशन एंड प्रोसेसिंग ऑफ लैंग्वेज (सफल) ने अपने चौथे संस्करण को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में आयोजित एक परिवर्तनकारी सभा के साथ चिह्नित किया। संज्ञानात्मक विज्ञान के आगामी 10वें वार्षिक सम्मेलन (एसीसीएस-एक्स) के साथ, सफल 2023 का उद्घाटन आईआईटी कानपुर में संज्ञानात्मक विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर नारायणन श्रीनिवासन के उद्बोधन के साथ हुआ। उन्होंने मुख्य भाषणों और चर्चाओं से भरे समृद्ध अनुभव से उपस्थित लोगों का स्वागत किया।
एक मनोरम सत्र में संज्ञानात्मक विज्ञान विभाग के प्रोफेसर हिमांशु यादव ने वाक्य प्रसंस्करण जटिलताओं के जटिल परिदृश्य को उजागर किया, कम्प्यूटेशनल मॉडल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और व्यक्तिगत मतभेदों पर सूक्ष्म व्याख्यान दिया। यादव का दृष्टिकोण समझौते के आकर्षण और समानता-आधारित हस्तक्षेप, पारंपरिक तरीकों को चुनौती देने और भाषा प्रसंस्करण की हमारी सैद्धांतिक समझ को समृद्ध करने जैसी घटनाओं में गहन को उजागर करने वाला रहा।
प्रोफेसर रमेश कुमार मिश्रा, तंत्रिका और संज्ञानात्मक विज्ञान केंद्र, हैदराबाद विश्वविद्यालय के मुख्य भाषण ने द्विभाषी अनुभूति के पारंपरिक मॉडल को बाधित कर दिया, जिसमें बताया गया कि कैसे भाषा पर्यावरण और सामाजिक संबंधों के साथ गहराई से जुड़ी हुई है, विशेष रूप से सांस्कृतिक रूप से भारत में विविध सेटिंग्स के भीतर द्विभाषियों में निरंतर संज्ञानात्मक अनुकूलनशीलता की मांग करती है। प्रयोगशाला प्रयोगों पर आधारित मिश्रा के शोध ने भाषा उत्पादन और संज्ञानात्मक नियंत्रण में द्विभाषियों की गतिशील अनुकूलन क्षमता को प्रदर्शित किया, जो विभिन्न सेटिंग्स में भाषा नियंत्रण को समझने में संज्ञानात्मक रणनीतियों के पुनर्मूल्यांकन का आग्रह करता है।
शैक्षिक मुख्य नोट्स के बीच सफल 2023 इंटरैक्टिव टॉक और पोस्टर सत्रों से गुलजार रहा। देश भर के शोधकर्ताओं ने अपने अभूतपूर्व कार्य का अनावरण किया, जिससे मंत्रमुग्ध दर्शकों के साथ गहन चर्चा को बढ़ावा मिला। कवर किए गए विषयों की व्यापकता भाषा उत्पादन की जटिलताओं से लेकर बच्चों में समझ और संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं की बारीकियों और विभिन्न संदर्भों और स्थितियों में भाषा की जटिलताओं तक थी। विद्वत्तापूर्ण दृढ़ता की विशेषता वाले इन सत्रों ने ज्ञान के जीवंत आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया, जिससे प्रतिभागियों के बीच विचारोत्तेजक चर्चाओं को बढ़ावा मिला।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/बृजनंदन