ऐतिहासिक नाटीइमली में प्रभु श्रीराम समेत चारों भाइयों के मिलन को देख श्रद्धालु भावविह्वल
वाराणसी, 26 अक्टूबर (हि.स.)। परे भूमि नहिं उठत उठाए। बर करि कृपासिंधु उर लाए। स्यामल गात रोम भए ठाढ़े। नव राजीव नयन जल बाढ़े।। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस की उत्तर कांड की ये चौपाई लगातार दूसरे दिन गुरूवार को भी ऐतिहासिक नाटीइमली रामलीला मैदान में जीवंत दिखी। मैदान पर श्री 108 श्री मौनी बाबा रामलीला कमेटी की ओर से आयोजित भरत मिलाप में चारों भाइयों का मिलन देख श्रद्धालु भावविह्वल हो उठे । चारों भाइयों पर पुष्पवर्षा के बीच राजा राम चन्द्र की जय, हर हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से पूरा रामलीला मैदान गुंजायमान रहा। रामलीला कमेटी के भरत मिलाप का ये 526वां वर्ष रहा।
इसके पहले हनुमान जी भरत भइया को प्रभु श्रीराम के आगमन का संदेशा देने के लिए नंदी ग्राम पहुंचते है। उनके संदेश पर भरत, शत्रुघ्न, माताओं, गुरुजनों और नागरिकों के साथ अयोध्या भवन ,विश्वेश्वरगंज से अयोध्या की प्रतीक सीमा नाटी इमली मैदान में पहुंचते है। पुष्पक विमान से प्रभु राम, माता जानकी और भाई लक्ष्मण को आते देख भरत व शत्रुघ्न नंगे पैर ही उनकी ओर दौड़ पड़े और जमीन पर साष्टांग दंडवत मुद्रा में लेट गये। ये दृश्य देख प्रभु श्री राम स्वयं को रोक न पाये और लक्ष्मण संग रथ से उतरकर भरत से मिलने नंगे पैर दौड़ पड़े। प्रभु ने भरत को हृदय से लगाया। गले मिलते ही भातृ विरह की वेदना भाइयों की आंखों से आंसुओं के रूप में बह निकली। इसके बाद चारों भाइयों के आपस में गले मिलते ही चारों दिशाएं राजा राम चंद्र की जय,चारों भइयन की जय के उद्घोष से गूंज उठी।
लीला स्थल पर मौजूद हजारों श्रद्धालु भी ये आह्लादित कर देने वाले दृष्य को टकटकी लगाये देखते रहे। गले मिलने के बाद चारों भाईयों ने चारों दिशाओं में घूमकर भक्तों को दर्शन दिया। पुष्पों की वर्षा के बीच राम पंचायतन की आरती रामलीला समिति के अध्यक्ष पं श्रीराम शर्मा ने उतारी। परम्परागत आरती के बाद यादव बंधुओं ने विशाल पुष्पक विमान को कंधे पर उठा शिवाला अयोध्या भवन के लिए रवाना हो गये। पुष्पक विमान लेकर यादव बंधु बगवाबीर,डीएवी कालेज,दारानगर,महामृत्युजय मंदिर,विश्वेश्वरगंज होते हुए शिवाला अयोध्या भवन पहुंचे। पुष्पक विमान से चारों भाइयों को उतारने के बाद फिर आरती हुई और इसी के साथ लीला का समापन किया गया।
इसके पहले नाटी इमली मैदान में होने वाली लीला को देखने के लिए लोगों का रेला अपरान्ह से ही उमड़ने लगा था । मैदान के साथ आसपास के घरों की छतों पर भी लोगों की भीड़ लीला देखने के लिए जुटी थी। मेला क्षेत्र में सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया था।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/पदुम नारायण