रथयात्रा मेले के अन्तिम दिन भगवान जगन्नाथ का श्वेत-धवल झांकी देख श्रद्धालु आह्लादित
वाराणसी, 09 जुलाई (हि.स.)। तीन दिवसीय रथयात्रा मेले के अन्तिम दिन मंगलवार को भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। मेले में आए श्रद्धालु रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा का श्वेत-धवल झांकी देख और रथ को स्पर्श कर आह्लादित दिखे। इस दौरान पूरा मेला क्षेत्र हर-हर महादेव, जय जगन्नाथ के जयघोष से गुंजायमान रहा। मेले में लोगों ने धूप और उमस के बीच पसीने से तर-बतर होने के बाद भी भगवान के अष्टकोणीय रथ को खींच कर आगे बढ़ाने की रस्म निभाई।
मेले के अन्तिम दिन प्रात: 5.11 बजे पुजारी पं. राधेश्याम पांडेय ने भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रहों की मंगला आरती की। इसके बाद रथ के मंदिर नुमा कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खुल गए। अन्तिम दिन भगवान का श्वेत परिधान और बेला के फूलों से श्रृंगार किया गया। रथ के गर्भगृह में विराजमान विग्रहों के साथ रथ के शिखर और छतरी को भी हरी पत्तियों व सफेद फूलों से सजाया गया।
अलसुबह भक्तों ने प्रभु को मक्खन मिश्री व नानखटाई अर्पित किया। पूवार्हन नौ बजे भगवान को छौंका मूंग-चना, पेड़ा, गुड़ और खांड़सारी नीबू का तुलसी मिश्रित शरबत का भोग अर्पित किया गया। दोपहर में आरती के बाद पूड़ी-कटहल की सब्जी, दही, खांड़सारी, सूजी का हलवा, मालपुआ और पंचमेल मिठाई का भोग लगाया गया। इसके बाद दोपहर में पट बंद कर दिए गए। अपराह्न तीन से चार बजे के बीच श्रृंगार एवं आरती के बाद दर्शन आरंभ हुआ। रात आठ बजे आरती होगी। मेला रात में शयन आरती के साथ संपन्न हो जाएगा। मेले में अंतिम दिन नानखटाई की खूब बिक्री हुई। चाट एवं अन्य व्यंजनों की दुकानों व ठेलों पर भी भीड़ रही। छोटे बच्चे खिलौने खरीदने, झूला झूलने और चर्खी का आनंद लेते रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / दिलीप शुक्ला