बौद्धिक संपदा की चोरी के अनेक उपाय होने के बावजूद तकनीकों का गलत प्रयोग चिंतनीयः डॉ.रेनू
कानपुर,17 फरवरी (हि.स.)। दुनिया के अधिकांश देश सदियों से अनेक प्रकार के कानून बनाकर बौद्धिक संपदा के अधिकार का संरक्षण करने का प्रयास करते रहे हैं। लेकिन बौद्धिक संपदा की चोरी के अनेक उपाय भी लोगों ने विकसित किये तथा तकनीकी का भी गलत प्रयोग इस दिशा में चिंतनीय है। यह बात चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर की डीन फैकल्टी सभागार में शनिवार को बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि भवन नई दिल्ली की प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर रेनू ने कही।
उन्होंने देश में लागू अनेक प्रकार के बौद्धिक संपदा अधिकार अधिनियम की भी चर्चा की। ट्रेडमार्क, पेटेंट, फार्मर्स राइट,कॉपीराइट्स आदि ट्रेड सीक्रेट संपदा कानून के विविध पहलुओं पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ. पी के सिंह ने कहा वर्तमान में बौद्धिक संपदा की चोरी और हनन के मामले काफी देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रति जागरूक करके एवं इस दिशा में कड़े नियम लागू करके बौद्धिक संपदा का सरंक्षण किया जा सकता है।
इससे पूर्व सर्वप्रथम अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर इस विद्यालय के निदेशक शोध ने कहा कि बौद्धिक संपदा के अधिकारों की जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को होनी चाहिए। ताकि इसके बढ़ते दुरुपयोग को रोका जा सके। कार्यशाला में आईसीएआर नई दिल्ली के डॉक्टर यूके दुबे, आईआईटी कानपुर के रवि पांडे, सीएसजेएमयू से डॉक्टर दिव्यांशु शुक्ला एवं एचबीटीयू के डॉक्टर बृजेश सिंह ने भी व्याख्यान दिए।
कार्यक्रम आयोजक डा. मुनीश कुमार ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार की जानकारी हम सभी को होनी चाहिए।हालांकि इसके समक्ष अनेक चुनौती हैं जो बौद्धिक संपदा कानून की जानकारी होने से इस दिशा में सफल हो सकते हैं। यह एक दिवसीय कार्यशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा प्रायोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर कौशल कुमार द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षक,शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन