उत्तर प्रदेश में पिछले सात वर्षों में नवजात व शिशु मृत्यु दर में आई कमी
लखनऊ, 21 जून (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में नवजात एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इसके तहत सरकार की ओर से विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर प्रदेश में लगातार नियमित टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश में पिछले सात वर्षों में नवजात एवं शिशु मृत्यु दर में काफी कमी दर्ज की गई है।
मालूम हो कि देश और प्रदेश में पोलियाे और नवजात टिटनेस की विदाई की मिसाल नियमित टीकाकरण है। योगी सरकार द्वारा सौ फीसद नियमित टीकाकरण के लक्ष्य को पाने के लिए समय-समय पर नवाचार किए जा रहे हैं। इसी क्रम में केंद्र सरकार द्वारा 13 मार्च 2024 को लांच यूविन पोर्टल प्रदेश के टीकाकरण लक्ष्य को हासिल करने में बेहतरीन हथियार बन गया है।
राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डाॅ. अजय गुप्ता ने बताया कि कोविन पोर्टल की तर्ज पर शुरू किए गए यूविन पोर्टल पर 13 मार्च से अब तक कुल 16,89,373 गर्भवतियों का पंजीकरण हुआ है। इसके सापेक्ष 14,64,961 गर्भवतियों का टीकाकरण किया जा चुका है। एक साल से कम आयु के 33,02,825 बच्चे पोर्टल पर पंजीकृत हैं, जिनके सापेक्ष 32,45,610 बच्चों का टीकाकरण किया जा चुका है। एक से पांच साल के पंजीकृत 16,48,215 बच्चों के सापेक्ष 14,61,406 बच्चों को टीका लग चुका है। अब तक कुल 7,93,310 सत्रों की प्लानिंग की गई है, जिसके सापेक्ष 7,69,856 सत्र आयोजित किए जा चुके हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक डाॅ. मनोज शुकुल ने बताया कि यूविन पर पंजीकरण होने के बाद डिजिटलीकरण होने से गर्भवती और बच्चे का देश में कहीं भी टीकाकरण हो सकता है। पहले जहां ई-विन पोर्टल कोल्ड चेन से संबंधित जानकारी रखता था, वहीं अब इस पोर्टल के माध्यम से महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण संबंधी सारी जानकारी मिल जाती है। शून्य से पांच साल तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को लगाए गए टीकों की ऑनलाइन ट्रैकिंग की जा रही है। इससे तैयार ड्यू लिस्ट के अनुसार टीकाकरण करना और भी आसान हो गया है। यूविन पर प्रसव बाद जन्मे शिशु का विवरण दर्ज करने से बच्चों की ट्रैकिंग करना आसान हो गया है।
इतनी बार होता है टीकाकरण-
- पांच साल में सात बार टीकाकरण किया जाता है
- बच्चों को लगाये जाते हैं 12 बीमारियों से बचाव के टीके
- टीबी, हिपेटाइटिस बी, पोलियो, खसरा, रूबेला, काली खांसी, गलघोंटू, टिटेनस, रोटा वायरस से होने वाला डायरिया, इन्फ्लूएंजा, निमोनिया, जापानी इन्सिफेलाइटिस।
- गर्भवती को भी लगते हैं दो टीके
- व्यस्क डिप्थीरिया और टिटेनस के दो टीके गर्भवती को लगाये जाते हैं। एक टीका गर्भावस्था का पता लगते ही और दूसरा उसके अगले माह।
हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/पवन