फिरोजाबाद के प्राचीन शिवालयों में उमड़ी शिव भक्तों की भीड़, किया पूजा पाठ
फिरोजाबाद, 19 अगस्त (हि.स.)। जिले के कई ऐसे प्राचीन शिव मंदिर हैं जिनकी अपनी अलग-अलग मान्यता है। वैसे तो यहां हर सोमवार को शिव भक्त पूजा पाठ करते हैं लेकिन सावन के आखिरी सोमवार को इन शिवालयों में शिव भक्तों का तांता लगा रहा। शिवभक्तों ने पूजा पाठ कर अभिषेक किया।
श्री सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर
सुहाग नगरी फिराेजाबाद शहर के मोहल्ला गंज स्थित श्री सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर करीब सात सौ वर्ष पुराना है। यहां शिवलिंग जमीन से प्रकट हुई थी। मंदिर की देखभाल रामलालजी महाराज द्वारा की जाती थी। तब से लोगों की मनोकामना पूर्ण होने के साथ ही आस्था का केंद्र बन गया। जिस स्थान पर बाबा की शिवलिंग है। वहां एक छोटी से कोठरी थी, जिस पर टीन शेड पड़ा था। लेकिन जैसे-जैसे लोगों की आस्था जुड़ती गई। मंदिर ने भव्यता का रूप ले लिया। सावन माह के प्रत्येक सोमवार को हजारों की संख्या में शिवभक्तों ने पूजा पाठ किया।
रामेश्वरनाथ मंदिर
फिरोजाबाद शहर के गल्लामंडी स्थित श्री रामेश्वरनाथ महादेव मंदिर सौ वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। इसकी गवाही मंदिर की दीवारें भी देती हैं। मंदिर की सबसे बड़ी किदवंतती 41 दिन तक लगातार दर्शन से जुड़ी है। लगातार 41 दिन तक दर्शन करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है। सावन के प्रत्येक सोमवार यहां बड़ी संख्या में शिव भक्तों ने पूजा पाठ कर भगवान शिव का अभिषेक किया।
पंचमुखी महादेव मंदिर
जनपद के दुली मोहल्ले में भगवान शिव का हजारों वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर पंचमुखी महादेव के नाम से दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। इस मंदिर की स्थापना आज से लगभग हजार वर्ष पहले ग्वालियर के राजा दुलीचंद ने की थी। इसीलिए इस स्थान का नाम मौहल्ला दुली रख गया। यह मंदिर काफी जगह पर फैला हुआ था लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई इस मंदिर की सीमाएं भी छोटी होती चली गई। आज भी यहां सावन के महीने में भगवान पंचमुखी महादेव पर रुद्राभिषेक होता है और उनके दर्शन के लिए भक्त दूर दूर से आते हैं। पुजारी की माने तो यहां पर दूर-दूर से आने वाले साधु संतों और असहाय लोगों के लिए मुक्त भोजन की व्यवस्था की गई है।
सांती का प्राचीन मंदिर
शहर से दूर खैरगढ़ क्षेत्र के गांव सांती स्थित सांतेश्वर नाथ महादेव मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। महाराज शांतनु ने इस मंदिर की स्थापना कराई थी। मंदिर के पास ही एक किला है, जो अब खंडहर हो चुका है। यहां शिवलिंग की गहराई जानने के लिए कई बार खुदाई हो चुकी है। लेकिन आज तक यह पता नहीं लग सका कि शिवलिंग जमीन के अंदर कितनी गहराई तक है। इस मंदिर से कई चमत्कार भी जुड़े हैं। सावन के सोमवार पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। शिव भक्तों ने यहां कावड़ चढ़ाई तथा पूजा पाठ कर अभिषेक किया।
कालेश्वर महादेव मंदिर
फिरोजाबाद से 25 किलोमीटर दूर स्थित कालेश्वर महादेव का यह मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। यह मंदिर द्वापर युग में मथुरा के राजा उग्रसेन ने स्थापित किया था। यहां जो शिवलिंग स्थापित किया गया है, वह भगवान महादेव के ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसकी मुख्यधारा उज्जैन के महाकाल से जुड़ी हुई है। मंदिर के पुजारी की माने तो यहां भक्तों को अनेक चमत्कार भी देखने को मिले हैं। पढ़ने वाले बच्चे से लेकर बेरोजगार घूमने वाले भक्त यहां आकर भगवान से प्रार्थना करते हैं और कालेश्वर महादेव उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।
कंडेश्वर महादेव मंदिर
फिरोजाबाद के जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित पचोखरा थाना क्षेत्र के गांव देवखेड़ा में स्थित कंडेश्वर महादेव का मंदिर अद्भुत और चमत्कारिक है। 500 साल से भी अधिक पुरानी इस शिवलिंग की कहानी पौराणिक है। जमीन की खुदाई के दौरान निकली शिवलिंग श्रद्धालुओं का कल्याण करती है। मंदिर में गुंबद बनाते ही वह स्वत: ही ध्वस्त हो जाती है। इसलिए शिवलिंग के ऊपर की छत खुली छोड़ी गई है। इस मंदिर का इतिहास 500 साल से भी पुराना है। देवखेड़ा और नगला महादेव गांव के कुछ किसान खेत पर बने कंडे के बिटोरे में खुदाई कर रहे थे। खुदाई करते समय जमीन में से शिवलिंग नजर आई और उसे यहां स्थापित कर दिया गया। कंडों के बिटोरे से शिवलिंग निकलने पर इस शिवलिंग का नाम भी कंडेश्वर महादेव रखा गया।
हिन्दुस्थान समाचार / कौशल राठौड़ / Mohit Verma