क्वार महीने में तुलसी की पत्तियां एवं काली मरीच के सेवन से कई रोगों से बचाव: प्रो.अरुण कुमार

 




- भिन्न-भिन्न रोगों का इलाज आयुर्वेद चिकित्सा से आसानी से हो सकता है

वाराणसी, 04 नवम्बर (हि.स.)। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान समय में हो रहे भिन्न भिन्न रोगों का इलाज आयुर्वेद चिकित्सा से आसानी से हो सकता है। प्रो. त्रिपाठी शनिवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय, विज्ञान संकाय के सेमिनार कॉम्प्लेक्स में अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ (स्नातकोत्तर) सम्मेलन एवं द्रव्यगुण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि विषम ज्वर की चिकित्सा मात्र क्वार महीने में तुलसी की पत्तियां एवं काली मरीच के सेवन करने से पूरे वर्ष बचा जा सकता है। प्रो. त्रिपाठी ने भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा चलाये जा रहे आयुष हेल्थ एन्ड वैलनेस सेन्टर के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां आयुष पॉलिसी और योग पॉलिसी लागू है। आयुर्वेद की शिक्षा ऐसी हो जो छात्रों को मल्टी डायरेक्शनल हो और उनको एक सफल चिकित्सक बनाये।

चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एस.एन. संखवार ने बताया कि आयुर्वेद प्राचीनकाल से ही लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करता रहा है। प्रो. संखवार ने वर्तमान समय में आयुर्वेद और पंचकर्म जैसी हानि रहित चिकित्सा के अधिक से अधिक प्रयोग पर जोर दिया। गोष्ठी में आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रो. पी.के. गोस्वामी ने आयुर्वेद संकाय में हो रहे आयुर्वेद के नए शोध विधा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यदि रोगी आयुर्वेद की चिकित्सा में आ जाये तो उसे जल्द ही रोगों से मुक्ति मिल सकती है।

गोष्ठी में पद्मश्री प्रो. मनोरंजन साहू ने आयुर्वेद के पिछड़ेपन में बाधक कारणों को बताया। उन्होंने आयुर्वेद में अधिक से अधिक साक्ष्य आधारित शोध और आयुर्वेद को मिलने वाले बजट को बढ़ाने पर जोर दिया। इसके पहले गोष्ठी के आयोजक अध्यक्ष अध्यक्ष प्रो. राजेंद्र प्रसाद ने गोष्ठी के मुख्य उद्देश्य, संयोजक डॉ अजय कुमार ने कॉन्फ्रेंस की थीम और कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया।

गोष्ठी में चौकाघाट राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. शशि सिंह ने स्त्री और प्रसूति रोगों में आयुर्वेद के प्रयोग और विभिन्न खान पान के तरीकों पर चर्चा की। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. वी.डी. अग्रवाल ने किया।

-गोष्ठी में 300 विशेषज्ञों ने लिया भाग

संगोष्ठी के संयोजक के अनुसार इसमें लगभग 10 राज्यों से 300 लोगों ने भाग लिया। कुल 4 प्लेनरी सेशन और 20 वैज्ञानिक सत्रों में लगभग 200 शोध पत्र पढ़े गए। इनके अलावा 10 विशिष्ट व्यख्यान भी हुए। जिसमें प्रो. एम. साहू, प्रो. वी.डी. अग्रवाल, प्रो. आनंद चौधरी, प्रो. केके द्विवेदी, प्रो. जे.एस. त्रिपाठी, प्रो. रमाकांत यादव, डॉ एस.पी. गुप्ता ने व्याख्यान दिया।

द्रव्यगुण विभाग के प्रो. बी. राम, डॉ राशि शर्मा, डॉ अनुभा और डॉ अजय कुमार को आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए आयुर्वेद भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया।

गोष्ठी में क्लिनिकल पंचकर्म बुक का विमोचन किया गया। गोष्ठी में प्रोफेसर संगीता गहलोत, प्रो नीरु नथानी , वैद्य सुशील कुमार दूबे, डाक्टर मंगला गौरी, डॉ नितिन शर्मा, प्रो. पालीवाल, डॉ ममता ने भी भागीदारी की।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश