अधिकार के साथ कर्तव्यों का भी बोध कराता है भारतीय संविधान : असीम अरुण

 


लखनऊ, 26 नवंबर (हि.स.)। भारतीय संविधान केवल अधिकार ही नहीं प्रदान करता बल्कि कर्तव्यों के दायित्व का बोध भी कराता है। आज हम 75वां संविधान दिवस मना रहे हैं जो कि संविधान का अमृत काल है। आजादी के बाद हमारा संविधान लिखा गया इसमें विभिन्न प्रकार के परिवर्तन किये गए और जो स्वरूप हमें आज मिला है उसने हमें जीने की कला सिखाई है। ये बातें मंगलवार को समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरूण ने कही।

राज्यमंत्री भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूर्ण होने के फलस्वरूप संविधान को अंगीकृत किए जाने की तिथि 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर संविधान की विशिष्टताओं एवं उनमें वर्णित मौलिक कर्तव्यों की महत्ता के प्रति भागीदारी भवन स्थित छत्रपति साहू महाराज शोध एवं प्रशिक्षिण संस्थान, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षिण संस्थान तथा ट्राइब्स इंडिया में कार्यरत समस्त अधिकारी, कर्मचारी एवं संस्थान में पढ़ रहें छात्रों को जागृत करने के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।

संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भारतीय संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया गया। साथ ही भारतीय संविधान की विशिष्टताओं एवं उनमें वर्णित मौलिक कर्तव्यों की महत्ता पर संस्थान के छात्रों द्वारा निबंध प्रतियोगिता एवं भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपने विचार रखे।

भाषण प्रतियोगिता में अर्जुन ने प्रथम स्थान तथा दीक्षा मौर्या ने दूसरा एवं सदफ ने तीसरा स्थान हासिल किया। इसी प्रकार निबंध प्रतियोगिता में ईशू आनंद ने पहला,राजनारायण ने दूसरा एवं अंकित यादव ने तीसरा स्थान हासिल किया। प्रतियोगिता में स्थान अर्जित करने वाले छात्र-छात्राओं के साथ ही प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाले छात्र-छात्राओं को समाज कल्याण मंत्री ने पुरस्कृत कर उनका उत्साहवर्द्धन किया। उन्होंने छात्रों से आगे भी इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने के लिए प्रोत्साहित किया।

हिन्दुस्थान समाचार / दीपक