जल, जंगल और जमीन का करें संरक्षण : प्रो. एचएस सिंह
-कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
मेरठ, 16 मार्च (हि.स.)। शाकंभरी देवी विश्वविद्यालय सहारनपुर के कुलपति प्रो. एचएस सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए सभी लोगों का प्रयास होना चाहिए कि हम जल, जंगल और जमीन का संरक्षण करें। उन्होंने कहा कि पहले हम लैंड टू लैब रिसर्च को प्राथमिकता देते थे, लेकिन अब समय की मांग है कि हमें किसानों के खेतों पर जाना होगा और उनकी आवश्यकता के अनुसार अपनी लैब में शोध करना होगा। उसके बाद किसानों को तकनीकी देनी होगी।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए सतत कृषि पद्धतियों विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शनिवार को समापन हुआ।
मुख्य अतिथि प्रो. एचएस सिंह ने कहा कि विज्ञान के अधिक प्रयास से ही आज हम खाद्यान्न संकट से निकलकर बाहर आ पाए हैं, लेकिन बढ़ती जनसंख्या एक चुनौती है। विज्ञान का प्रयास होना चाहिए कि वह अब खाद्यान्न सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा पर भी ध्यान दें जिससे लोगों को हाइजीनिक अनाज मिल सके और लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहे। उन्होंने कहा कि यदि हमें 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है तो सभी लोगों को आगे आना होगा और मिलकर नए वह विकसित भारत का निर्माण करना होगा।
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केके सिंह ने कहा कि अब सुरक्षित, पौष्टिक, किफायती उत्पादन और खाद्यान्न उपलब्ध कराने के साथ खेती को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से लाभदायक बनाने के लिए टिकाऊ खेती करनी होगी। इसके लिए डिजिटल कृषि की बढ़ती उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए इसका समावेश करना होगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल खेती एक क्रांति है, जिसमें मशीन, जीपीएस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीक की मदद से भविष्य में खेती को बढ़ावा मिल सकेगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एडीजी इंजीनियरिंग डॉ. केपी सिंह ने कहा कि भारत में जल का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। यहां 700 क्यूबिक फ्रेश वाटर प्रयोग किया जाता है जबकि अन्य देशों में इसकी मात्रा बहुत कम है। भारत में वाटर की रीसाइकलिंग नहीं हो पा रही है। आज जरूर इस बात की है कि हम वाटर की रीसाइकलिंग करें। अपनी खेती में काम से कम रासायनों का प्रयोग करें। ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐसी तकनीक का इस्तेमाल खेती में आने वाले दिनों में किया जाने लगेगा। भारत द्वारा रोबोट विकसित किया जा रहे हैं जिससे आसानी से पेड़ों से फलों की तोडाई और खेत में निराई गुड़ाई की जा सके
आलू अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम के विभागध्यक्ष प्रोफेसर आरके सिंह ने कहा कि आज टिकाऊ किसी प्रणाली पर ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने के अलावा मृदा के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन कृषि टिकाऊ कृषि प्रणाली थी जिसमें हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते थे। हमें इस पर भी ध्यान देना होगा और खाद्यान्न सुरक्षा के साथ-साथ पोषण पर भी ध्यान देना होगा।
इस अवसर पर प्रो. डीबी सिंह. प्रो. आरएस सेंगर, डॉ. विवेक धामा, प्रो. अवनी सिंह, प्रो. एलएल सिंह, प्रो. गजे सिंह, प्रो. कमल खिलाड़ी, प्रो. डीके सिंह आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/बृजनंदन