(संशोधित) दीपावली पर्व पर लक्ष्मण नगरी में सजा आकर्षक दीपकों का बाजार

 


लखनऊ, 05 नवम्बर(हि.स.)। लक्ष्मण नगरी में दीपावली पर्व के आगमन से पूर्व ही रंगीन दीपक बाजार में आ गए हैं। बाजारों में आकर्षित करते हुए दीपकों का मूल्य कहीं पर 40 रुपये के चार तो कहीं पर छोटे वाले दीपक सौ रुपये सैकड़ा और थोड़ा बड़े दीपक 200 रुपये सैकड़ा हैं। कैसरबाग चौराहे, आईटी, गोलमार्केट, नरही, निशांतगंज, आलमबाग, भूतनाथ, चिनहट जैसे बाजारों में हर साल की भांति इस बार भी दीपावली पर्व से पहले ही स्थानीय दुकानदारों के स्टॉल सज गए हैं।

रौनक भरी बाजारों में मिट्टी से बनी हुई भगवान श्रीगणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियां मौजूद हैं। इस वर्ष बाजारों में रंगीन दीपकों को मूर्तियों के साथ में सजाया गया है। दीपकों पर पेंट से उसे आकर्षक स्वरूप दिया गया है। सुंदर कलाकृति के रूप में सुंदर दीपक लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।

दुकानदारों की मानें तो बीते वर्ष मिट्टी से बने दीपक की बिक्री उम्मीद से ज्यादा हुई थी। इस बार भी उनके मन में आशा है कि सुंदर आकर्षित दीपकों की बिक्री बढ़चढ़ कर होगी। उन्हें उम्मीद है कि युवा वर्ग और महिलाएं आकर्षक दीपकों की खरीदारी करेंगे। दुकानों पर दो प्रकार के मिट्टी के दीपकों को रखा गया है। इसमें बड़े दीपक जो 12 घंटों तक लगातार जलते हैं, उनके मूल्य 50 रुपये प्रति पीस रखा है। छोटे दीपक तेल डालने पर दो घंटे तक जलेंगे, फिर तेल डालने पर आगे भी जलते रहेंगे। इनके मूल्य 40 रुपये के चार रखे गये हैं।

कुम्हार परिवारों की जागी उम्मीदें

दीपावली पर्व से पहले आईटी चौराहे के निकट रामाधीन मोहल्ले के कुम्हार परिवारों की उम्मीदें जागी है। कुम्हार परिवार की महिलाओं ने इस वर्ष हजारों दीपकों को अपने हाथों से बनाया है। सैकड़े के दर से दीपकों की बिक्री के लिए घरों के बाहर लगा दिया गया है। सौ रुपये से दो सौ रुपये सैकड़ा तक की दर पर दीपकों की बिक्री के लिए रखा गया हैं।

दीप जलाकर खुशियां मनाने की परम्परा

लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में पीएचडी कर रहे आचार्य संगम ने कहा कि दीपावली पर्व पर दीपक जलाकर खुशियां मनाने की प्रभु श्रीराम के वक्त से परम्परा है। शुद्ध घी के दीपक जलाकर पूजन करने से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। दीपावली पर घर के मुख्य मार्ग पर दीपक अवश्य ही जलाना चाहिए।

गोमय दीपकों को जलाने की अपील

गौ सेवा के कार्यकर्ताओं की ओर से वर्ष 2023 में गोमय दीपकों को जलाने की अपील की जा रही है। गौ सेवा के प्रांत प्रमुख एवं प्रचारक सर्वजीत ने कहा कि गाय के गोबर के दीपकों को जलाने से शुद्ध वातावरण बनता है और इससे देवी देवता प्रसन्न होते हैं। गाय के गोबर से बने दीपकों को गोमय दीपक कहा जाता है। इसे जलाने पर प्रकृति को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद/दिलीप