मुख्य सचिव की समीक्षा में मंडलायुक्त बरेली ने प्रस्तुत की 'पराली एकत्रीकरण' पर केस स्टडी
लखनऊ, 08 नवंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों के साथ साप्ताहिक समीक्षा बैठक की। इस दौरान बरेली की मंडलायुक्त ने ‘पराली एकत्रीकरण’ पर एक केस स्टडी भी प्रस्तुत की।
मुख्य सचिव ने अपने संबोधन में बरेली मण्डलायुक्त और गोरखपुर के जिलाधिकारी द्वारा किसानों की आय में वृद्धि के लिये किये गये प्रयास को सराहनीय बताया। उन्होंने अन्य जनपदों को भी इस तरह के प्रयास करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि पराली मार्केट प्लेस ऐप के द्वारा पराली क्रय के लिये स्वतंत्र व पारदर्शी पराली बाजार स्थापित किया जा सकता है। मार्केट लिंकेज कर सीबीजी प्लांटस को पराली आपूर्ति करने से किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
उन्होंने कहा कि जिन जनपदों में सीबीजी प्लांट्स स्थापित हैं, उन्हें इस तरह के प्रयास करने चाहिये। इससे पराली जलने की घटनाओं में भी कमी आयेगी।
ये रही मंडलायुक्त बरेली की ‘पराली एकत्रीकरण’ पर केस स्टडी
मंडलायुक्त बरेली सौम्या अग्रवाल ने ‘पराली एकत्रीकरण’ पर प्रस्तुत अपनी केस स्टडी में बताया कि बरेली मण्डल में सर्वाधिक मात्रा में धान का उत्पादन होता है, इसलिये यह पराली सरप्लस मण्डल भी है। एक स्वतंत्र, पारदर्शी पराली बाजार स्थापित करने तथा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिये पराली मार्केट प्लेस एप विकसित किया गया। इस एप पर क्षेत्रवार सभी धान किसानों के मोबाइल नं0, कब फसल काटेंगे इसका विवरण, पराली की मात्रा, कटाई उपकरण व एग्रीगेटर वाले सभी किसानों का क्षेत्रवार मोबाइल नम्बर, सभी अस्थायी भंडारण स्थानों का विवरण प्राप्त कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति सीधे, व्यक्तिगत किसान, एग्रीगेटर से संपर्क कर सकता है और अपना ऑर्डर दे सकता है और आपूर्ति ले सकता है। अब तक स्व-पंजीकरण मोड में 10085 मीट्रिक टन पराली के साथ 1000 किसानों का डाटा इस एप पर उपलब्ध है। इस एप से में मदद मिली है।
उन्होंने बताया कि एचपीसीएल द्वारा बदायूं में एक सीबीजी प्लांट स्थापित किया गया है। इस संयंत्र को चलाने के लिये 35 हजार टन पराली की प्रतिवर्ष आवश्यकता होती है। मार्केट लिंकेज स्थापित न होने के कारण यह संयंत्र नवम्बर, 2022 में क्रियाशील नहीं हो सका। संयंत्र को क्रियाशील करने के लिए अन्य राज्यों से पराली खरीदनी पड़ रही थी, जो उच्च परिवहन लागत के कारण व्यवहारिक नहीं थी। पराली नेटवर्क स्थापित करने के लिए कृषि विभाग के साथ-साथ विपणन विभाग को भी शामिल किया गया, क्योंकि वे धान खरीद के दौरान धान किसानों के साथ बहुत करीब से जुड़ते हैं। एफपीओ और कुछ बड़े किसानों के साथ बैठक की जो एग्रीगेटर के रूप में काम कर सकते थे, उनका समझौता एचपीसीएल के साथ कराया गया। संयंत्र पूरे वर्ष की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पूरे मण्डल में कुल 73 एग्रीमेंट कराए गए। अब तक 35000 मीट्रिक टन वार्षिक आवश्यकता में से 17,500 मीट्रिक टन की पूर्ति हो चुकी है। इससे पराली जलने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आयी है और किसानों के आय में भी वृद्धि हुई है।
जिलाधिकारी गोरखपुर ने प्रस्तुत किया धान के साथ मछली पालन का प्रयोग
जिलाधिकारी गोरखपुर कृष्णा करुणेश ने ‘एकीकृत धान सह मछली पालन का अभिनव प्रयोग’ विषय पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि इंटीग्रेटेड पैडी-कम-फिश कल्चर, धान की खेती के साथ-साथ मछली उत्पादन की एक दोहरी कृषि प्रणाली है। कम लागत और बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के धान के साथ-साथ मछली उत्पादन की सरल विधि है। गोरखपुर में लगभग 33 प्रतिशत क्षेत्रफल खरीफ में जलभराव हो जाता है, जिसमें जुलाई से सितम्बर माह तक खेतों में 15 से 30 सेमी तक पानी रहता है। कुछ क्षेत्रों में नवम्बर माह तक पानी रहता है। पर्याप्त संभावनाओं के दृष्टिगत गोरखपुर के विकास खण्ड भटहट के ग्राम अमवा में लगभग 50 हेक्टेयर में इस तकनीकी का प्रयोग किया गया। इसके प्रयोग से सामान्य की तुलना में 04 से 05 कुंतल प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन हुआ और मछली के रूप में 05 से 06 कुंतल प्रति हेक्टेयर कृषकों को अतिरिक्त उत्पाद प्राप्त हुआ। कृषक इससे हुए लाभ से प्रोत्साहित हैं और अगले वर्ष इसे और बड़े क्षेत्रफल में व्यापक रूप से कराये जाने की योजना बनायी जा रही है।
इस पर मुख्य सचिव ने सभी अधिकारियों से कहा कि जिन क्षेत्रों में जल भराव रहता है, उनका डेटाबेस तैयार कर इंटीग्रेटेड पैडी-कम-फिश कल्चर को प्रोत्साहित किया जायेगा। इसके लिए उन्होंने किसानों की ट्रेनिंग की व्यवस्था कराने को भी कहा।
मण्डलायुक्त लखनऊ ने दिया ‘एक पहल’ विषय पर प्रस्तुतीकरण
मण्डलायुक्त लखनऊ रौशन जैकब ने ‘एक पहल’ विषय पर प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि इसके तहत तीन क्षेत्रों- महिला एवं बाल देखरेख संस्था, कुपोषण व सुरक्षित शहर को चिन्हित किया गया। महिला एवं बाल देखरेख संस्थाओं की आधारभूत व रहन-सहन की स्थिति को सुदृढ़ करने हेतु स्मार्ट सिटी परियोजना से लगभग 02 करोड़ 20 लाख का धन आवंटन किया गया। महिलाओं व बच्चों के शैक्षणिक, सृजनात्मक विकास के लिए विभिन्न विभागों से सहभागिता सुनिश्चित करायी गयी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तबर्गत चिकित्सकों का नियमित भ्रमण सुनिश्चित कराया गया। राजकीय बालिका गृह, लखनऊ में हेल्थ एटीएम स्थापित किया गया।
उन्होंने बताया कि जिला चिकित्सालय बलरामपुर में बाल देखरेख संस्थाओं में आवासित बालक-बालिकाओं, शिशुओं हेतु विशेष ओपीडी हेतु सप्ताह में एक निश्चित कराया गया। सुपर स्पेशियालिटी अस्पतालों यथा केजीएमयू, राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, एसजीपीजीआई में इन बच्चों को प्राथमिकता पर उपचार उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया। सुरक्षित शहर की पहल के रूप में तथा महिलाओं को निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने हेतु प्रमुख रेलवे स्टेशनों व रोडवेज बस स्टेशनों पर स्तनपान कराये जाने हेतु केन्द्रों की स्थापना कराया गया।
रौशन जैकब ने बताया कि आगामी कार्ययोजना के हत लखनऊ की भांति राजकीय सम्प्रेक्षण गृह जनपद हरदोई का सुदृढ़ीकरण, सभी सार्वजनिक स्थल जहां महिलाओं का अत्यधिक संख्या में आना-जाना है, ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नरों की स्थापना, लखनऊ मण्डल को कुपोषण मुक्त मण्डल बनाना तथा सभी बाल देखरेख संस्थाओं में समस्त आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता हेतु एक बेहतर समन्वय तथा अनुश्रवण पद्धति विकसित करना है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव राजस्व सुधीर गर्ग, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद मनीषा त्रिघाटिया, सचिव कृषि राज शेखर सहित सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/पीएन द्विवेदी/आकाश