डबल लॉक में बंद है चंद्रशेखर आजाद का अस्थिकलश, विरोचित सम्मान देने की मांग
—शहादत दिवस पर विशेष
वाराणसी, 26 फरवरी(हि.स. )। स्वतंत्रता आंदोलन के अमर सेनानी चंद्रशेखर आजाद की 93वीं शहादत दिवस 27 फरवरी मंगलवार को मनाया जायेगा। चंद्रशेखर आजाद ने प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क जिसको अब अमर शहीद चंद्रशेखर पार्क के नाम से जाना जाता है, में अंग्रेजी हुकूमत से मुकाबला करते हुए 27 फरवरी 1933 को देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
काशी के क्रांतिकारियों पर स्वतंत्र तौर पर शोध कर रहे बनारस बार के पूर्व महामंत्री नित्यानन्द राय ने बताया कि आजाद का अंतिम संस्कार करने के बाद आजाद के फूफा शिव विनायक मिश्र उनकी पवित्र अस्थियां अपने पियरी स्थित घर पर लेते आये। शिव विनायक मिश्र के निधन के बाद आजाद के फूफेरे भाइयों राजीव लोचन मिश्र,फूलचन्द्र मिश्र,श्याम सुन्दर मिश्र ने 10 जुलाई 1976 को अस्थिकलश को तत्कालीन राज्य सरकार के प्रतिनिधि सरदार कुलतार सिंह को समर्पित कर दी, जिन्होंने अस्थिकलश को लखनऊ के चिड़ियाघर स्थित स्टेट म्यूजियम मेंं रखवा दिया । तब से आजाद का अस्थिकलश वहीं डबल लाक में रखा हुआ है।
नित्यानंद राय ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू,प्रदेश की राज्यपाल आंनदीबेन पटेल,केन्द्रीय संस्कृति मंत्री को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेज कर अस्थिकलश को विरोचित सम्मान देने के लिए राजघाट सरीखा समाधिस्थल बनाने की मांग की। नित्यानंद राय ने कहा कि काशी में शिवपुर केन्द्रीय कारागार में आजाद की प्रतिमा का दर्शन लोगों को नही मिल पाता। दोनों जगहों पर दर्शन करने के लिये पहले अनुमति अनिवार्य है।
अधिवक्ता ने कहा कि सनातन धर्म में अस्थिकलश या तो पवित्र नदियों में बहा दिया जाता है। या फिर उसकी समाधि बनाकर पूजा होती है । लेकिन आजाद के अस्थि कलश के साथ ऐसा नही किया गया। वाराणसी के सेंट्रल जेल में भी जिस जगह बालक चन्द्रशेखर को कोड़े लगाये गये थे । उस जगह पर स्थापित आजाद के प्रतिमा के दर्शन के लिये भी अनुमति अनिवार्य है । जो कई दिन की प्रक्रिया के बाद बड़ी कठिनाई से मिलती है । आजाद की प्रतिमा को और उस स्थल को जेल से अलग कर उसे आजादी के क्रांतिस्थल के रूप मे विकसित करने की जरूरत है।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/पदुम नारायण