एससी-एसटी आरक्षण पर केंद्र सरकार को संविधान संशोधन विधेयक लाना चाहिए : मायावती
लखनऊ, 10 अगस्त (हि.स.)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता कर एससी—एसटी वर्ग के आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर भाजपा-कांग्रेस व सपा पर निशाना साधा। मायावती ने कहा कि सांसदों को प्रधानमंत्री द्वारा दिए गये आश्वासन से काम चलने वाला नहीं है। संसद का सत्र खत्म हुआ लेकिन विधेयक नहीं आया। आरक्षण को निष्प्रभावी किया जा रहा है। केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर संसद में बिल लाना चाहिए था। बिना विधेयक लाए संसद सत्र खत्म किया है। ऐसे में यह लगता है कि भाजपा और कांग्रेस आरक्षण के खिलाफ है। संशोधन लाकर कोर्ट का फैसला पलटा जाए।
मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह हवा हवाई आश्वासन देना कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को नहीं लागू किया जाएगा और फिर इस मामले में कोई भी कदम न उठाना। कार्रवाई आदि न करना यह स्पष्ट करता है कि या तो प्रधानमंत्री ने इस तरह का कोई आश्वासन एससी—एसटी वर्गों के सांसदों को दिया ही नहीं । और या फिर ऐसा आश्वासन केवल इन वर्गों के लोगों को भ्रमित व गुमराह करने के लिए दिया गया है। इन सब कारणों से आज देश में एससी—एसटी वर्गों के रह रहे लगभग 40 करोड़ रुपये से ज्यादा लोग पूर्व मेें कांग्रेस की रही सरकार की तरह, वर्तमान भाजपा की केंद्र सरकार के द्वारा भी अपने आपको काफी ठगा सा महसूस कर रहे है। ये लोग आज भी सामाजिक एवं आर्थिक तौर से पिछड़े हुए है,जिन्हें यह आरक्षण दिलाने का कार्य बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर द्वारा कांग्रेस के विरोध के बावजूद अपने अथक प्रयासों से दिलाया गया है। जबकि केंद्र की सरकारों ने इस आरक्षण को खत्म करने के लिए समय—समय पर लगातार कोशिश किए है। जैसे सरकारी नौकरियों को खत्म करके ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से कार्य कराना,जिनमे उनके द्वारा नियुक्त कर्मचारियों पर कोई आरक्षण लागू नहीं होता।
मायावती ने कहा सरकारी संस्थानों को निजी हाथो में बेचकर उनमें मिल रही लाखों की संख्या नौकरियां, जिसमें इन वर्गों के भी आरक्षण उपलब्ध था वो भी खत्म कर देना। इसी प्रकार भाजपा की सरकार ने अपने वकील, अटार्नी जनरल के माध्यम से से सुप्रीम कोर्ट में उपवर्गीकरण और क्रीमी लेयर के पक्ष में गलत दलीले दिलवायी थी, जिसकी वजह से ही नागराज के निर्णय की ही तरह दविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य के केस में भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अगस्त को आरक्षण के विरूद्ध निर्णय दिया गया, जिसका सीधा असर यह होने लगा है कि अब सम्पूर्ण एससी—एसटी वर्गों के आरक्षण प्राप्त नहीं हो सकेगा। इस निर्णय के अंदर ऐसी व्यवस्था कर दी गई है कि अब पूरे देश में राज्य सरकारे अपने—अपने राजनैतिक फायदे के हिसाब से इन वर्गों को आपस में ही लड़वाने का काम करेगी। जीवन भर कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने के लिए मजबूर कर देगी और अंत में इनके आरक्षित पद खाली पड़े रहने के कारण यह खत्म कर दिए जाएंगे अन्यथ इन्हें सामान्य वर्गों को ही दे दिया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / दीपक वरुण / बृजनंदन यादव