आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले कारकों पर केंद्रित बजट : ऑक्टा अध्यक्ष
--राजकोषीय विवेक के साथ विकास आवश्यकताओं को संतुलित करता है
प्रयागराज, 23 जुलाई (हि.स.)। घोषणाओं या सुधारों के लिहाज से यह कोई बड़ा धमाकेदार बजट नहीं है। सरकार ने सामाजिक सुधारों, विकास, राजकोषीय विवेक और गठबंधन सहयोगियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। बजट समावेशी विकास और आर्थिक लचीलापन की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जोकि दीर्घकाल के विकास की ठोस रणनीति की ओर इंगित करता है।
ईसीसी अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष व ऑक्टा अध्यक्ष डॉ उमेश प्रताप सिंह ने कहा है कि रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचे के विकास, एमएसएमई के लिए समर्थन और सस्ते आवास पर रणनीतिक जोर देने के साथ, यह बजट राजकोषीय घाटे को 4.9 प्रतिशत तक कम करते हुए देश की महत्वपूर्ण जरूरतों को सम्बोधित करता है। बजट में अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालात और भविष्य की संभावनाओं तथा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न वर्गों और क्षेत्रों की स्थिति में सुधार के लिये प्रयास किये गए। रोजगार बढ़ाने के लिए ठोस उपायों की घोषणा की है जोकि आवश्यक थे।
अपने सातवें बजट में वित्त मंत्री ने ऐसी योजनाओं की घोषणा की है जो नियोक्ताओं और शिक्षाविदों को शामिल करके सीधे रोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ कौशल को भी बढ़ावा देंगी। अधिक रोजगार की आवश्यकता भारत के आर्थिक विकास के केंद्र में है। सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में कहा है कि जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को बनाए रखने के लिए अगले सात वर्षों में भारत को गैर-कृषि क्षेत्र में कम से कम 78 लाख नौकरियों की आवश्यकता है, यह बजट इस पर एक सीधी प्रतिक्रिया देता है। बजट में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की महत्वाकांक्षी योजना है।
बजट में रोजगार से जुड़े कौशल विकास और योजनाओं पर जोर दिया गया है। शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का आवंटन एक सकारात्मक कदम है। कुछ नए विचार भी हैं, जैसे शीर्ष 500 कम्पनियों के साथ इंटर्नशिप। युवाओं को आकर्षित करने के लिए बजट में विशेष प्रबंध किए गए हैं। इनमें 15,000 रुपये तक के एक महीने के वेतन का प्रत्यक्ष-लाभ हस्तांतरण, कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी निधि द्वारा भुगतान किए जाने वाले 1 करोड़ से अधिक इंटर्नशिप और 1 करोड़ युवाओं के लिए कौशल योजनाएं शामिल हैं। नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, बजट में वाणिज्यिक पैमाने पर निजी संचालित अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक निकाय का प्रस्ताव किया गया है, जिसके लिए 1 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय पूल बनाया गया है।
ऑक्टा अध्यक्ष ने कहा कि इसने अंतरिम बजट में आवंटन के समान ही पूंजीगत व्यय के लिए 11.1 लाख करोड़ रुपये का परिव्यय है, जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2019 और 2024 के बीच बुनियादी ढांचे पर बढ़ते सरकारी खर्च के बावजूद, निजी क्षेत्र की अपेक्षित भागीदारी नहीं रही थी। इस बार सरकार ने कुछ उपाय किये हैं जिससे कि निजी क्षेत्र के निवेश में भी बढ़ोत्तरी हो। बजट में अनेक ऐसे उपाय भी किये गयें हैं जिससे कि विदेशी निवेशक चीन की अपेक्षा भारत को निवेश के लिए अधिक तवज्जो दें। व्यापक आधार के बुनियादी संरचना विकास के सुझावों के अनुरूप, बजट में राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत सभी प्रकार की बुनियादी संरचना के साथ 12 औद्योगिक पार्क परियोजनाओं की पहचान करने, उपयुक्त जल, स्वच्छता और लॉजिस्टिक तंत्र के साथ आर्थिक विकास केंद्रों के रूप में शहरों की पहचान करने जैसे उपाय से निजी पूंजीगत व्यय में दीर्घकालिक वृद्धि होगी। स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए एंजेल टैक्स को हटाना एक बहुत ही सकारात्मक कदम है। बजट में अनेक ऐसे उपाय भी किये गयें है जिससे कि विदेशी निवेशक चीन की अपेक्षा भारत को निवेश के लिए अधिक तवज्जो दें।
डॉ सिंह ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा और सम्पोषणीय विकास इस बजट के प्रमुख तत्व हैं। बजट ऊर्जा मूल्य श्रृंखला के सभी तत्वों पर केंद्रित है। सबसे महत्वपूर्ण बात, यह जलवायु वित्त को सुव्यवस्थित करने और कार्बन बाजारों को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है। जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, यह सरकार लोगों को ’कल्याणकारी’ ट्रेडमिल से ’विकास’ ट्रेडमिल पर रखना पसंद करती है। बजट भी उसी दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है। कुछ मामूली उतार-चढ़ाव के बावजूद, सामाजिक कल्याण के लिए बजटीय आवंटन 2019-20 से अपेक्षाकृत स्थिर रहा है।
उन्होंने कहा कि, 2019 के बाद से सामाजिक कल्याण को सबसे कम आवंटन 2021-22 में मिला था, जब इस क्षेत्र के लिए 48,460 करोड़ रुपये अलग रखे गए थे। सामाजिक कल्याण के लिए इस वर्ष का 56,501 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन 2019-20 के बाद से इस क्षेत्र को प्राप्त हुई सबसे अधिक राशि है। कर राहत बहुत मामूली है। न तो होम लोन पर चुकाने वाले ब्याज पर कोई राहत दी गई है और न ही 80(सी) के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाया है, न ही 80डी के तहत कुछ लाभ दिया गया है। नई पेंशन स्कीम में सुधारों या पुरानी पेंशन स्कीम के संदर्भ में बजट मौन है। यह अत्यंत निराशाजनक है।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / आकाश कुमार राय