बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय बना बेलगाम भ्रष्टाचार व घोटालों का अड्डा

 








न किसी का डर, न ही नियमों की परवाह, बस स्वार्थसिद्धि के अहंकार में जल रहा छात्रों का भविष्य

झांसी, 22 मई(हि. स.)। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में पिछले दो-ढाई वर्षों से शिक्षा के इतर विकास कार्यों के नाम पर पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है। नैक विजिट के नाम पर वर्तमान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दो ही वर्षों में लगभग 150 करोड़ से ऊपर का व्यय किया जा चुका है। नियमानुसार, बीस हजार से अधिक के कार्य के लिए कोटेशन,एक लाख से अधिक पर टेंडर, दस लाख से अधिक पर ई टेंडर तथा पांच करोड़ से अधिक के कार्य के लिए शासन से अनुमति की प्रकिया अनिवार्य है। किंतु विश्वविद्यालय द्वारा करोड़ों के काम बिना किसी टेंडर के,पूर्व सुनिश्चित फर्मों से करवाकर उनका भुगतान भी कर दिया है। कुल मिलाकर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय बेलगाम भ्रष्ट्राचार और घोटालों का अड्डा बना हुआ है।

समस्त कार्य आपस में ही मिलजुलकर मात्र वित्तीय एवं प्रशासनिक अनुमति से ही संपन्न करवा लिए गये। भुगतान चालाकी दिखाते हुए कई अलग-अलग चरणों में किया जाता था, जिससे किसी की नजर में न आ सके। वित्त समिति में डायरेक्टर पेंशन, चीफ ट्रेजरी अधिकारी के अतिरिक्त अन्य सभी सदस्य विश्वविद्यालय के होते हैं।

लगभग 11.32 करोड़ की लागत से बनने वाले छात्रावास की पहली किश्त 4.52 करोड़ का भुगतान शासन से अनुमति प्राप्त होने से पहले ही कर दिया था। अनु सचिव, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी पत्र संख्या 226/सत्तर-4-23 07/06/2023 के अनुसार विश्वविद्यालय से उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड के अतिरिक्त किसी अन्य संस्था से भी प्रश्नगत निर्माण कार्य का आगणन गठित कराते हुए शासन को उपलब्ध कराने को कहा गया था। जबकि विश्वविद्यालय इससे पहले ही 4.52 करोड़ का भुगतान कर चुका था। पी वी सी, वाल पेन्यूलिंग, फाल सीलिंग और फ्लोर टाईलिंग आदि का कार्य भी पूर्व सुनिश्चित फर्म को दिया गया,जिसके लिए 65.82 लाख का भुगतान किया गया।

ग्लोसाइन बोर्ड एवं साइनेज लगाने का कार्य उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम लिमिटेड, यूपीएसआईसीएल कानपुर द्वारा करवाया गया। उक्त कार्य हेतु कुल 1.26 करोड़ का भुगतान किया गया। इसके लिए भवन निर्माण समिति द्वारा 50 लाख की स्वीकृति पहले ही ले ली गयी थी। फिर 76.74 लाख का अतिरिक्त भुगतान किया गया।

फार्मेसी विभाग में कक्षाओं के निर्माण के लिए 57.06 लाख का भुगतान किया गया। परिसर में बने केफेटेरिया को बनाने के लिए 60 लाख लगे और उसकी मरम्मत एवं सौंदर्यीकरण के लिए 56.26 लाख का भुगतान फिर यूपीपीसीएल को किया गया।

विश्वविद्यालय अभियंता स्वर्गीय रतन सिंह द्वारा कई फाइलों पर इस तरह हो रहे कार्यों पर आपत्ति दर्ज की गयी थी,किंतु उनकी समस्त आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए संपत्ति अधिकारी, जो कि एक शिक्षक हैं इंजीनियर नहीं, द्वारा अपनी टिप्पणी से भुगतान करवा दिया गया।

वर्ष 2023 में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने बी एड की प्रवेश परीक्षा आयोजित की जिसमें शासन द्वारा नियुक्त वित्त अधिकारी के होते हुए, बी एड की परीक्षा करवाने के लिए वर्तमान कुलपति द्वारा एक शिक्षक के साथ आईसीआईसीआई बैंक में ज्वाइंट एकाउंट (Ac.No.024901005481) खोला गया, जिसमें छयालीस करोड़ की राशि स्थानांतरित की गयी जो कि शासन नियम के विरुद्ध है। इस प्रकार की कार्यप्रणाली स्वत विश्वविद्यालय अधिकारियों के इरादे सपष्ट करता है। ऐसे ही एक मामले में मप्र में एक विश्वविद्यालय के तमाम लोगों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया था। बी.एड की फीस जो विभिन्न महाविद्यालयों में भेजी जानी थी। वह भी लंबे समय तक महाविद्यालयों को नहीं भेजी गयी ताकि उसके ब्याज का उपयोग भ्रष्टाचारी कर सकें। अभी भी कई महाविद्यालयों का पैसा निर्गत होना बाकी है। विद्यार्थियों के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधायें भी उपलब्ध नहीं हैं,चाहे बात हास्टल की हो या विभागों की। शिक्षक और कर्मचारियों को उनका अधिकार नहीं मिल रहा, किंतु इस सबके लिए विश्वविद्यालय के पास न तो सोचने का समय है न ही पैसा है।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में वर्तमान कुलपति एवं परिसर के कुछ नियमित आचार्य और सह आचार्य कई कई पदों पर विराजमान रहकर असंवैधानिक तरीके से विश्वविद्यालय को वित्तीय स्तर पर खोखला कर रहे हैं। करीबी और चापलूसी के आधार पर कुछ शिक्षकों को मनचाहा लाभ और पदोन्नति का लाभ देकर भविष्य में भ्रष्टाचार और अनियमिततओं की, वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को बनाए रखने के लिए नये रास्ते तैयार कर रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/राजेश