ब्राजील के वैज्ञानिक ने बीएचयू का दौरा किया, काशी में खेती किसानी का हाल जाना

 


वाराणसी, 28 अक्टूबर (हि.स.)। फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ पारा, ब्राज़ील के प्रोफेसर डॉ वेलेरिया डॉस सैंटोस मोरेस ओरनेलास ने शनिवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का दौरा किया। डॉ वेलेरिया डॉस ने काशी में खेती किसानी का हाल जानने के बाद डॉ जय प्रकाश वर्मा, पर्यावरण और सतत विकास संस्थान, बीएचयू के साथ अनुसंधान सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ पारा बीएचयू के बीच एमओयू समझौते में अत्यधिक रुचि रखती हैं। उन्होंने बताया कि द्विसांस्कृतिक विविधता, जैव विविधता, टिकाऊ कृषि प्रथाओं और पर्यावरण प्रबंधन और संकाय सदस्य और छात्रों के अल्पकालिक विनिमय कार्यक्रम के क्षेत्र में सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए एमओयू किया जाएगा।

डॉ वर्मा ने ब्राजील के वैज्ञानिक और शोधकर्ता के सहयोग से गांव में 50-60 किसानों को पत्तेदार सब्जी पालक, धनिया और मेथी बीज और 100 मिलीलीटर बायोइनोकुलेंट-पीजीपीआर और 100 मिलीलीटर बायोडीकंपोजर वितरण किया और आए किसानों का परिचय भी कराया। ब्राजील के वैज्ञानिक ने किसानों के साथ सब्जी की खेती के तरीकों और बायोइनोकुलेंट और बायोडीकंपोजर के अनुप्रयोग के साथ अन्य विभिन्न फसल पैटर्न के बारे में बातचीत की। ब्राजील के वैज्ञानिक ने किसानों को ब्राजील की विभिन्न कृषि पद्धतियों के बारे में भी बताया। डॉ वर्मा के शोध टीम के सदस्यों-गोवर्धन कुमार चौहान, दीपक कुमार और अर्पण मुखर्जी ने किसानों के घर पर जैव-उर्वरक और बायोडीकंपोजर के बड़े पैमाने पर गुणन और ऊर्ध्वाधर खेती, रसोई बागवानी और बर्तनों में सब्जियां उगाने की विधि का प्रदर्शन किया।

बताया कि इस प्रशिक्षण से किसान 5 से 10 रुपये की लागत से घर पर 5 से 10 लीटर जैव उर्वरक उगा सकते हैं और भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए अपने आहार के लिए जैविक पत्तेदार सब्जी उगाने में आसानी से उपयोग कर सकते हैं। जैविक पत्तेदार सब्जी विटामिन, खनिज, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कई एंटी-ऑक्सीडेंट प्रदान करती है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिरक्षा बढ़ाने में मदद करती है। यह सरकार प्रायोजित कार्यक्रम है और इसका मुख्य उद्देश्य एससी/एसटी किसानों, मजदूरों और कमजोर वर्ग के किसानों में प्रतिरक्षा और पोषण संबंधी कमी को कैसे सुधारना है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश