संस्कृत भाषा के प्रथम कवि थे महर्षि वाल्मीकि : पवन श्रीवास्तव

 




प्रयागराज, 28 अक्टूबर (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद् धर्म यात्रा महासंघ के बैनरतले शनिवार को आदि कवि महर्षि वाल्मीकि की जयंती धूमधाम से मनाई गयी। पार्षद पवन श्रीवास्तव ने कहा कि संस्कृत भाषा का पहला श्लोक महर्षि वाल्मीकि के मुखारविंद से निकला और वह संस्कृत भाषा के प्रथम कवि के रूप में प्रख्यात हुए।

उन्होंने बताया कि प्रभु श्री राम के जीवन को रेखांकित करते हुए महाकाव्य रामायण की रचना करने वाले महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण में लंका से अयोध्या की दूरी 3145 किलोमीटर लिखी। जिसमें लंका विजय के उपरांत मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम को अयोध्या आने में कुल 504 घंटे लगे। यह योग कुल 21 दिन का होता है। इसलिए दशहरा से दीपावली का अंतर भी 21 दिन का ही होता है जो आज भी प्रासंगिक है।

कार्यक्रम आरती पूजन, प्रसाद वितरण तथा रामायण पाठ ऋषिकुल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परिसर स्थित वाल्मीकि मंदिर में हुआ। तत्पश्चात बैरिया हाता सिविल लाइंस से संदीप चौहान की अगुवाई में निकली शोभायात्रा को महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरी ने भगवा ध्वज दिखाकर रवाना किया। शोभायात्रा एजी ऑफिस चौराहे, इंदिरा गांधी चौराहा, सदर बाजार बाबा चौराहा होते हुए ऋषिकुल कुरुक्षेत्र मध्य विद्यालय स्थित मंदिर पर आकर समाप्त हुई।

सायंकाल उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कलाकार सनी शर्मा एंड पार्टी द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति एवं समाज के बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की भी प्रस्तुति हुई। उक्त अवसर पर हरिकृष्ण वाल्मीकि, रमेश चौहान, किशन आनंद पुन्नू लाल बाल्मीकि, संदीप चौहान, बरखा, प्रकाश सरोज गौरीश आहूजा, राजीव टंडन, अमित आलोक पांडे सहित अनेक भक्तगण उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम