बिहारी जी का प्राकट्योत्सव 17 नवम्बर को, उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

 




मथुरा, 16 दिसम्बर (हि.स.)। वृंदावन श्रीबांके बिहारी के प्राकट्यत्सव बिहार पंचमी से एक दिन पूर्व शनिवार को दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

श्रीबांके बिहारी मंदिर से विद्यापीठ चौराहा से लेकर मंदिर तक भक्तों की जबरदस्त भीड़ लगी रही। दूसरी ओर मंदिर से लेकर दाऊजी तिराहा तक भक्तों की कतार लगी। बांके बिहारी मंदिर का चौक जगमोहन खचाखच दलों से भरा रहा। जैसे-जैसे मंदिर के पट बंद होने का समय हुआ वैसे श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि होती रही।

अशोक गोस्वामी ने बताया कि ठाकुर बांके बिहारी का प्राकट्योत्सव रविवार को है। बांके बिहारी का जन्मोत्सव मनाने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आएंगे। शनिवार को भक्तजन उत्सव से पहले ही अपने आराध्य के दर्शन करने आ रहे हैं। ठा. बांकेबिहारी का प्राकट्योत्सव 17 नवम्बर विहार पंचमी पर उल्लासपूर्ण तरीके से मनाया जाएगा। आराध्य की प्राकट्यस्थली निधिवन राज मंदिर से लेकर बांके बिहारी जी मंदिर तक हर ओर उल्लास छाएगा। भोर में प्राकट्यस्थली के महाभिषेक के बाद चांदी के रथ में बैठ संगीत सम्राट स्वामी हरिदास अपने लड़ते ठा. बांके बिहारी जी को जन्मोत्सव की बधाई देने शोभायात्रा के रूप में निधिवन राज मंदिर से ठा. बांकेबिहारी मंदिर के लिए रवाना होंगे। स्वामी हरिदास की साधना से प्रसन्न होकर वृंदावन स्थित निधिवन में विक्रम संवत 1563 की मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को ठा. बांकेबिहारी प्रकट हुए थे। आज यहां निधिवन राज मंदिर है यहां ठा. बांकेबिहारी की प्राकट्यस्थली है। इसी दिन को ब्रज में विहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है। स्वामी हरिदास निधिवन के कुंजों में प्रतिदिन नित्य रास और नित्य विहार का दर्शन करते थे। अत्यंत सुंदर पद गाया करते थे।

स्वामी हरिदास को राधारानी की सखी ललिता सखी का अवतार बताया जाता है। प्राकट्योत्सव पर निकलने वाली बधाई यात्रा में प्रतीकात्मक तौर पर स्वामी हरिदास निधिवन राज मंदिर से चांदी के डोले में बैठ शोभायात्रा के साथ बधाई देने बांकेबिहारी मंदिर जाएंगे। करीब डेढ़ सौ साल से इसी तरह बधाई यात्रा निकलती आ रही है।

शयनभोग सेवाधिकारी आचार्य गोपी गोस्वामी ने बताया शाम को शयनभोग सेवा में बेशकीमती पोशाक धारण कर आराध्य बांकेबिहारीजी जब भक्तों को दर्शन देंगे, तो उनके आगे छप्पन प्रकार के व्यंजन भोग में परोसे जाएंगे। जन्मोत्सव पर पहलीबार मंदिर में ठाकुरजी के छप्पनभोग दर्शन होंगे। इसी दौरान हरिदासीय संप्रदाय के संत समाज गायन गायन में ठाकुरजी को बधाई देंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/दीपक/आकाश