तेलंगाना से आए युवा संगम प्रतिनिधिमंडल से बीएचयू कुलपति ने किया संवाद
-सारनाथ में पवित्र बौद्ध स्थलों को देख युवा दल अभिभूत, बनारस घराने के संगीतकारों की गली भी गए युवा
वाराणसी,30 नवम्बर(हि.स.)। “एक भारत श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम के तहत काशी आए युवा संगम प्रतिनिधिमंडल का बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने मेज़बानी की तथा उनके साथ गर्मजोशी से संवाद किया। कुलपति प्रो.जैन ने काशी विशेष रूप से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आगमन पर युवा दल के अनुभव भी जाना। युवाओं ने बताया कि बीएचयू की मेज़बानी अत्यधिक प्रभावित करने वाली है, एवं काशी में जो अनुभव उन्हें प्राप्त हो रहे हैं, वे उन्हें जीवन भर याद रहेंगे। छात्र-छात्राओं ने बताया कि विश्व के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में शामिल काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलना उनके लिए गर्व की बात है। इससे पहले तेलंगाना का युवा दल काशी के विविध रूपों से रूबरू हुआ। दल ने पवित्र बौद्ध स्थलों में से एक ऐतिहासिक सारनाथ की यात्रा की। छात्र सारनाथ के इतिहास के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक दिखे। उन्होंने धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप, शांति स्तूप, तिब्बती मंदिर और सारनाथ संग्रहालय का दौरा किया। संग्रहालय में उन्होंने काशी की समृद्ध विरासत का अनुभव किया और सारनाथ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से परिचित हुए। इसके बाद सारनाथ उत्खनन स्थलों धमेख, धर्मराजिका और चौखान स्तूप का दौरा किया। युवा दल के प्रतिनिधि बौद्ध साहित्य, संस्कृति व विरासत के चिन्हों से परिचित हुए। प्रतिनिधिमंडल सारनाथ स्थित केन्द्रीय तिब्बती उच्च अध्ययन संस्थान भी गया, जहां सदस्यों को तिब्बती इतिहास, परंपराओं और विरासत के बारे में जानकारी मिली। प्रतिनिधियों ने केंद्रीय तिब्बती पुस्तकालय की झलक देखी और तिब्बती साहित्य और उनके ग्रंथों के बारे में जानकारी प्राप्त की। केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. वांगचुक दोरजी नेगी ने तेलंगाना के प्रतिनिधियों को संबोधित किया। छात्रों को धर्म, बौद्ध धर्म और मोक्ष के मार्ग के बारे में गहराई से जानकारी प्राप्त करने के लिए केंद्रीय तिब्बती विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ बातचीत करने का भी मौका मिला। उन्होंने बौद्ध धर्म की विशेषताओं और भगवान बुद्ध के उपदेश को समझने की दिशा में आत्म निरंतरता के मार्ग और मुक्ति के लिए आत्मज्ञान के विषय पर चर्चा की। इस दौरान संस्थान की कुलसचिव डॉ. सुनीता चंद्रा समेत अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित रहे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य शहर के पुराने मठों में से एक कबीर मठ भी पहुंचे। जहां छात्रों को संत कबीर के जीवन व आदर्शों के बारे में पता चला। वे कबीर के बचपन से लेकर संत बनने की प्रेरक यात्रा के बारे में अवगत हुए। युवा दल को पद्मश्री प्रोफ़ेसर राजेश्वर आचार्य के साथ संगीत पर संवाद का भी अवसर मिला। प्रो. राजेश्वर आचार्य ने संगीत और शास्त्रीय संगीत की जटिलताओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पूरे बनारस में संगीत समाया हुआ है। प्रतिनिधियों को कबीर के दोहे की मनमोहक संगीतमय प्रस्तुति सुनने का भी मौका मिला। बनारस घराने के संगीतकारों की गली में भी युवा दल ने चहलकदमी की। उन्होंने बताया कि एक ऐसे स्थान पर आना जिसने संगीत की दुनिया को महान हस्तियां दी हों, अविस्मरणीय अनुभव है।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम