बीएचयू कुलपति ने नवनियुक्त शिक्षकों से किया संवाद, शिक्षण व शोध में सहयोग के लिए आह्वान
बोले- शिक्षकों के प्रोफेशलन डिवेलपमेंट के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध, अवसरों व धन की कमी नहीं आएगी
वाराणसी, 28 नवम्बर (हि.स.)। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने गुरुवार शाम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में नवनियुक्त संकाय सदस्यों से संवाद किया। उन्होंने नवनियुक्त शिक्षकों से आह्वान किया कि वे शिक्षण व शोध के साथ साथ सेवा के लिए भी तत्पर रहें तथा अपने-अपने संस्थान की उन्नति में योगदान करें।
परिसर स्थित मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र में कुलपति ने कहा कि प्रतिष्ठित संस्थान के संकाय सदस्य के रूप में उत्कृष्ट शिक्षण व अनुसंधान के साथ साथ उन्हें सामुदायिक सेवा के लिए भी उत्साह व ऊर्जा के साथ काम करना होगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की भी नवनियुक्त संकाय सदस्यों के काफी अपेक्षाएं व आकांक्षाएं हैं और शिक्षकों को उन पर खरा उतरने के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि नए सदस्य आपसी संवाद व निरंतर सम्पर्क के माध्यम से न सिर्फ एक दूसरे की प्रगति में सहयोग करें बल्कि एक समुदाय की भावना विकसित कर पारस्परिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करें।
प्रो. जैन ने कहा कि विश्वविद्यालय की अपेक्षा है कि उसके शिक्षक आकांक्षी हों और उत्कृष्टता के लिए जाने जाएं। इसके लिए विश्वविद्यालय क्षमता निर्माण व नए अवसरों के सृजन के लिए अनेक पहल कर रहा है। उन्होंने बताया कि नए संकाय सदस्यों के प्रोफेशनल डिवेलपमेंट के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है और इस दिशा में कई योजनाओं पर काम चल रहा है। उन्होंने संकाय सदस्यों को उत्कृष्ट शोध परियोजनाओं पर कार्य करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि सभी संकायों में एक वरिष्ठ आचार्य को नए शिक्षकों के मार्गदर्शन व मेन्टरिंग के लिए विशेष रूप से अनुरोध किया गया है।
कुलपति ने बताया कि नए संकाय सदस्यों को नई व्यवस्था को अपनाने में सहूलियत के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं। उन्होंने शिक्षकों से सुझाव भी मांगे ताकि विश्वविद्यालय में ईज़ ऑफ लिविंग के विचार को साकार किया जा सके। कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह बताया कि विश्वविद्यालय कई नई पहलों पर काम कर रहा है, जिससे संकाय सदस्यों का बहुमूल्य समय प्रक्रियाओं में उलझ कर व्यर्थ न जाए। कुलगुरू प्रो. संजय कुमार ने विश्वविद्यालय द्वारा चलाई जा रही विविध योजनाओं से संकाय सदस्यों को रूबरू कराया।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी