अनशनरत प्रो. ओम शंकर के समर्थन में बीएचयू के छात्रों ने निकाला आक्रोश मार्च

 


-सरसुंदर लाल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओम शंकर का अनशन जारी, वजन घटा

वाराणसी, 15 मई (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, सर सुंदरलाल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर ओम शंकर का कमरा नं. 19, हृदय रोग विभाग में लगातार पांचवे दिन बुधवार को भी अनशन जारी रहा। हृदय विभाग को आवंटित बेड देने की मांग कर अनशनरत प्रो. ओमशंकर का स्वास्थ्य भी गिरने लगा है। पिछले चार दिनों में उनका वजन पांच किग्रा कम हो गया। हालत बिगड़ने की जानकारी पर अस्पताल के चिकित्सकों की एक टीम ने उनके स्वास्थ्य का जांच किया। प्रो. ओमशंकर की हालत बिगड़ती देख और उनके मांगों के समर्थन में छात्र और शहर के सामाजिक संगठन भी लामबंद होने लगे हैं।

बुधवार शाम प्रो. ओम शंकर के समर्थन में बीएचयू परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर से लंका गेट तक छात्रों, प्रोफेसरों और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आक्रोश मार्च निकाला। मार्च में शामिल छात्रों ने कहा कि डॉ ओमशंकर बीएचयू अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार पर हमेशा पूरे दमख़म से सक्रिय रहे हैं। इस बार भी उन्होंने बेहद गंभीर मुद्दे पर सभी प्रयासों के विफल होने के बाद आमरण अनशन शुरू किया है। छात्रों ने कहा कि पहले सर सुंदर लाल अस्पताल के पुराने भवन में कार्डियोलॉजी विभाग में 47 बेड ही थे, लेकिन डॉ ओम शंकर के बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में एम्स स्थापित किए जाने के लिए वर्षों के आंदोलन के बाद वर्तमान सरकार ने सुपर स्पेशलिटी विभागों में बिस्तरों की कमियों को दूर करने के लिए 450 बेड के नए सुपर स्पेशलिटी भवन बनाने के लिए धनराशि आवंटित की। सुपर स्पेशलिटी भवन बनने के बाद इस भवन में हृदय विभाग को सेवा विस्तार के लिए 41 और बिस्तर आवंटित किए गए, जिस पर चिकित्सा अधीक्षक को कई सारे पत्र लिखने के बाद भी लगातार उसमें डिजिटल ताला लगाकर लॉक करके रखा गया।

डॉ शंकर बेड की समस्या को लेकर बार-बार प्रश्न उठाते रहे। इसकी वजह से अगस्त-2023 में इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई। कमेटी 2 महीने के गहन विमर्श के बाद अक्टूबर के पहले हफ्ते में बहुमत से इस निष्कर्ष पर पहुंची की हृदय विभाग अब पुराने भवन में आवंटित बिस्तरों के बदले सम्पूर्ण हृदय विभाग को सुपर स्पेशलिटी भवन में स्थानांतरित कर दिया जाये। जहां पर हृदय विभाग को संपूर्ण चौथा तल और आधा पंचम तल दिया जाये। लेकिन 5 महीने बीत जाने और कुलपति, निर्देशक और चिकित्सा अधीक्षक को बार-बार पत्र लिखकर समिति की संस्तुतियों को लागू करने के आग्रह के बाद भी जब इस पर कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं की गई तो विवश होकर मार्च के पहले हफ्ते में सबंधित अधिकारियों को 8 मार्च से बेमियादी आमरण अनशन शुरू करने के लिए डॉ ओमशंकर ने पत्र लिखा था। जिसके बाद 08 मार्च को चिकित्सा विज्ञान केंद्र के निर्देशक, डीन और डॉ ओमशंकर के बीच आम सहमति बनी कि समिति द्वारा हृदय विभाग को आबंटित सभी बेड तत्काल प्रभाव से डिजिटली अनलॉक करके हृदय विभाग को मरीजों की सेवा के लिए उपलब्ध होगा।

इसके बाद एक सप्ताह बीत गया। जब डॉ केके गुप्ता ने आंवटित बेड को लागू नहीं किया तो डॉ. शंकर ने कुलपति, चिकित्सा अधीक्षक, निदेशक को उस आदेश को लागू करने के लिए एक पत्र लिखा। इस पत्र के बाद भी 2 हफ्ते बीत गए लेकिन डॉ केके गुप्ता ने आदेश का पालन नहीं किया तो उन्होंने कुलपति, चिकित्सा अधीक्षक और निदेशक को फिर से एक रिमांडर लेटर लिखा। इसके बाद आमरण अनशन के लिए बाध्य हुए। उधर, प्रो. ओमशंकर ने दो टूक कहा कि जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जाएंगी अनशन जारी रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश