बीएचयू में लगे ‘आदि बाज़ार’ में जनजातीय उत्पादों की खरीदारी कर रहे छात्र
वाराणसी, 16 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविधालय (बीएचयू) परिसर के मधुबन में आयोजित राज्य स्तरीय प्रदर्शनी 'आदि बाजार' में छात्रों की भीड़ उमड़ रही है। प्रदर्शनी के स्टॉलों में प्रदर्शित उत्पादों में जल कुंभी से बने उत्पाद (बैग, पेंसिल स्टैंड, टोपी), ट्वाइन सामग्री से बने उत्पाद, जूट उत्पाद, मैक्रेमे वस्तुएं, सी बकथॉर्न औषधीय उत्पाद, बनारसी वस्त्र, चंदेरी साड़ियाँ, लकड़ी की हस्तशिल्प वस्तुएं, रेशमी एवं ऊनी परिधान, हर्बल उत्पाद तथा कृषि उत्पाद लोगों को भा रहा है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राईफेड) ने इस आदि बाज़ार का आयोजन वाराणसी बीएचयू में पहली बार किया है। 23 दिसंबर तक चलने वाले इस प्रदर्शनी में उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से आए लगभग 40 से अधिक जनजातीय उद्यमी अपने उत्पादों बनारसी वस्त्र, चंदेरी साड़ी, लकड़ी के हस्तशिल्प, रेशम व ऊनी वस्त्र, वन व कृषि उत्पाद आदि का उचित दर पर इस प्रदर्शनी में बिक्री कर रहे हैं। ट्राईफेड के अधिकारियों ने मंगलवार को य़ह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि आदि बाज़ार का उद्घाटन बीते सोमवार की शाम बीएचयू के कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने किया। इस दौरान उन्होंने जनजातीय उत्पादों के विपणन एवं विज्ञापन (मार्केटिंग एवं एडवर्टाइजिंग) से संबंधित गतिविधियों के विषय में जानकारी ली। ट्राईफेड के अधिकारियों ने कुलपति को बताया कि वर्तमान में वाराणसी के सारनाथ, संकुल एवं एयरपोर्ट क्षेत्र में ट्राईफेड के बिक्री एवं प्रदर्शन स्थल संचालित हैं, साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में भी ऐसे ही एक स्थायी स्थान की आवश्यकता है। इस अवसर पर जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनी कान्त भी मौजूद रहे। संस्था की क्षेत्रीय प्रबंधक प्रीति टोलिया ने कुलपति प्रो. चतुर्वेदी एवं डॉ. रजनी कांत को उत्तराखंड की पायराेग्राफी कला (लकड़ी पर हीटेड लेज़र उत्कीर्णन से निर्मित कलाकृति) भेंट कर सम्मानित किया।----------------
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी