बैरिस्टर साहब नरेंद्रजीत सिंह वास्तव में थे निष्काम कर्मयोगी : ओमपाल

 


कानपुर, 31 अक्टूबर(हि.स.)। बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह वास्तव में निष्काम कर्मयोगी थे। उन्होंने अपना सारा जीवन समाज, शिक्षा और राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी बैरिस्टर साहब का आत्मीयता पूर्ण व्यवहार सबको जोड़ने में सक्षम था।

यह बात मंगलवार को बी.एन.डी.शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज बेनाझाबर में बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह के उन्तीसवां स्मृति समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कुटुंब प्रबोधन ओमपाल ने कहा।

उन्होंने कहा कि उनके सानिध्य में आकर हर कोई उनको अपना संरक्षक मनाने लगता था, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में संघचालक की भूमिका में परिवार भावना का जीवन भर निर्वाह किया।उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणाप्रद है। संयुक्त परिवार टूटकर एकल बनते जा रहे हैं। एकल परिवारों में संस्कार मर्यादा,संस्कृति,सेवा भावना,परिवारिक दायित्व का बोध एवं राष्ट्र भक्ति की कमी हो रही है। नई पीढ़ी भारतीय परिवार परम्परा एवं पारिवारिक भावनाओं से दूर होती जा रही है, यह चिंताजनक है, इन्हें दूर करने के लिए कुछ लोग भारतीय संस्कृति एवं परिवार व्यवस्था को बचाने के लिए अच्छा कार्य कर रहे हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कुटुंब प्रबोधन कुटुंब व्यवस्था को बनाये रखने के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य कर रहा है। राष्ट्र की सबसे छोटी इकाई कुटुंब अतुलनीय शक्ति वाली है। पराधीनता के काल में भारतीय सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को पूरी तरह से नष्ट करने का कार्य किया गया,किन्तु इस लम्बे संक्रमण काल में हमारी कुटुंब व्यवस्था बरकरार रही है, इसे और मजबूत करने की आवश्यकता है। हमारे बच्चे मजबूत बनें, संस्कारवान बनें। घर परिवार में सामूहिक भोजन-भजन, चर्चा-परिचर्चा एवं त्याग और सेवा की भावना पर बल दिया जाना चाहिए।

मुख्य अतिथि ने सिलाई केन्द्र की छात्राओं द्वारा स्वहस्त निर्मित वस्त्रों एवं वस्तुओं की प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा विभिन्न प्रतियोगिता के विजेता 98 छात्र-छात्राओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।

समारोह की अध्यक्षता श्री बह्मावर्त सनातन धर्म महामंडल के अध्यक्ष वीरेंद्र जीत सिंह ने की। उन्होंने कहा कि बैरिस्टर नरेन्द्रजीत सिंह बाल संस्कार केन्द्र की स्थापना का उद्देश्य क्षेत्रीय सेवा बस्ती के आर्थिक रूप से कमजोर बालक-बालिकाओं को नि:शुल्क शिक्षण एवं व्यवसायपरक शिक्षा प्रदान कर उन्हें सुदृढ़, व्यावहारिक एवं सामाजिक जीवन व्यतीत करने योग्य बनाना है। मां सुशीला नरेन्द्रजीत सिंह सिलाई केन्द्र में आर्थिक रूप से कमजोर बालिकाओं को आत्मनिर्भर व स्वावलम्बी बनाने का प्रशिक्षण देकर भावी जीवन में अपने परिवार ही नहीं, बल्कि समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा बनने योग्य तैयार करना है। इन केन्द्रों के माध्यम से बालिकाओं को विविध शिल्प कलाओं के प्रशिक्षण देने के साथ-साथ देशभक्ति एवं भारतीय संस्कृतिपरक भावों को जाग्रत करने का भी कार्य किया जाता है। बैरिस्टर साहब का मानना था कि देश को समृद्धशाली बनाने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग का सम्पूर्ण विकास आवश्यक है, सिलाई केन्द्र एवं बाल संस्कार केन्द्र बैरिस्टर साहब के सपनों को साकार कर रहे हैं।

विद्यालय के प्रबंधक आदित्य शंकर बाजपेयी ने बाल संस्कार केन्द्र एवं सिलाई केन्द्र की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। सह प्रबधंक श्याम अरोड़ा ने मुख्य अतिथि का परिचय कराया। विद्यालय के प्रधानाचार्य बृजमोहन कुमार सिंह ने स्वागत किया। अन्य अतिथियों का परिचय वरिष्ठ आचार्य रविशंकर शुक्ला ने कराया। सिलाई केन्द्र एवं बाल संस्कार केन्द्र की प्रबंधिका मंजूबाला श्रीवास्तव ने आभार प्रदर्शन किया। बाल संस्कार केन्द्र के छात्र आदित्य सिंह ने एकल गीत 'कदम निरंतर चलते जिनके... की सुमधुर प्रस्तुति की।

इस अवसर पर प्रान्त प्रचारक श्रीराम, रमाकांत मिश्र, बालकृष्ण लाहोटी, योगेन्द्र भार्गव, डाॅ कमल किशोर गुप्ता, शरद कृष्ण पांडे, सुरेंद्र कक्कड़, नीतू सिंह, भवानी भीख तिवारी, हरिभाऊ खांडेकर एवं विभिन्न संस्थाओं एवं संगठनों से आये हुए पदाधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/राजेश