बांदा के 126 वर्ष पुराने नागरीय प्रचारिणी पुस्तकालय का होगा कायाकल्प,बनेगा अत्याधुनिक भवन

 


बांदा, 24 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के जनपद बांदा में शहर के ऐतिहासिक और 126 वर्ष पुराने नागरीय प्रचारिणी पुस्तकालय के नवनिर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए पुरानी और जर्जर इमारत को ध्वस्त करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। पुस्तकालय में मौजूद सभी पुस्तकों को सुरक्षित रूप से बांदा विकास प्राधिकरण में स्थानांतरित कर दिया गया है। विकास प्राधिकरण की ओर से भवन का खाका तैयार कर लिया गया है। लगभग दो करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस पुस्तकालय के निर्माण की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग खंड-1 को सौंपी गई है।

नया पुस्तकालय भवन तैयार होने के बाद छात्र-छात्राओं को अध्ययन के लिए बेहतर और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। यहां हिंदी साहित्य, इतिहास, सामान्य ज्ञान सहित विभिन्न विषयों की पुस्तकें उपलब्ध होंगी।

गौरतलब है कि शहर के बांदा-महोबा मार्ग पर कचहरी के समीप वर्ष 1899 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा नागरीय प्रचारिणी पुस्तकालय की स्थापना कराई गई थी। उसी काल में बलखंडी नाका स्थित अनाथालय की भी स्थापना हुई थी। रख-रखाव के अभाव में समय के साथ दोनों ही संस्थान जर्जर हो गए।

सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी मुन्नी लाल बताते हैं कि यह जिले का पहला सार्वजनिक पुस्तकालय था, जहां छात्र-छात्राएं बैठकर पुस्तकों के माध्यम से ज्ञान अर्जित करते थे। पुस्तकालय में हिंदी सहित विभिन्न भाषाओं की कहानियों, उपन्यासों और इतिहास की पुस्तकों का समृद्ध संग्रह हुआ करता था। लेकिन पुरानी पुस्तकों के नष्ट होने और नई पुस्तकों के न आने से यहां आने वाले विद्यार्थियों की संख्या घटती चली गई। पिछले एक दशक से यह पुस्तकालय पूरी तरह बंद पड़ा था।

समाजसेवियों की मांग पर हाल ही में विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में नागरीय प्रचारिणी पुस्तकालय भवन के पुनर्निर्माण को स्वीकृति दी गई। जिलाधिकारी के निर्देश पर दो मंजिला पुस्तकालय भवन का नक्शा और प्रस्ताव तैयार कर शासन को स्वीकृति के लिए भेजा गया है। अधिकारियों के अनुसार पुस्तकालय को अत्याधुनिक स्वरूप दिया जाएगा, जिसमें शिक्षा और सांस्कृतिक विकास का विशेष ध्यान रखा जाएगा।

पुस्तकालय भवन में हाल ही में प्रकाशित हिंदी साहित्य, इतिहास, उपन्यास और कहानी संग्रह के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकें भी उपलब्ध होंगी। छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए दो बड़े अध्ययन हाल बनाए जाएंगे, जिनमें प्रत्येक में 100 से अधिक विद्यार्थियों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसके अलावा चार कक्ष भी होंगे। भवन में बिजली, पानी और आरामदायक फर्नीचर जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

डीआईओएस दिनेश कुमार ने बताया कि पुस्तकालय के निर्माण के बाद एक समिति का गठन किया जाएगा, जो पुस्तकों के संग्रह का कार्य करेगी और यह तय करेगी कि किन-किन विषयों की पुस्तकें लाई जाएं। उन्होंने बताया कि नई पुस्तकों के साथ-साथ साहित्यिक धरोहर से जुड़ी पुस्तकें भी संग्रहित की जाएंगी, जिनमें अमीर खुसरो और रानी केतकी जैसी महत्वपूर्ण रचनाएं शामिल होंगी।

विकास प्राधिकरण के सचिव/एडीएम मदन मोहन ने बुधवार को बताया कि पुस्तकालय भवन निर्माण के बाद पुस्तकें उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी डीआईओएस को सौंपी जाएगी। प्रयास रहेगा कि पुस्तकालय में हिंदी साहित्य, कहानी संग्रह, इतिहास और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित अधिकाधिक पुस्तकें उपलब्ध हों, ताकि छात्र-छात्राएं यहीं रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें। साथ ही शोध कार्य की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।

नागरीय प्रचारक पुस्तकालय के अध्यक्ष अशोक त्रिपाठी जीतू एडवोकेट ने बताया कि इस नागरिक प्रचारक पुस्तकालय में लगभग 60 हजार पुस्तकें थीं। यह पुस्तकालय जर्जर हो गया था, अब इसे सम्पूर्ण ध्वस्त कर के उत्तर प्रदेश सरकार एक नई लाइब्रेरी तैयार करायेगी।

इस संबंध में जिले के जाने-माने साहित्यकार डॉक्टर चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित का कहना है कि पुस्तकालय का निर्माण बांदा के स्वर्णिम भविष्य के लिए एक वरदान साबित होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल सिंह